शीघ्रवोध | Sigrabod Bhag-1,2,3,4,5

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Sigrabod Bhag-1,2,3,4,5 by श्याम सुंदर मुनि - Syamsundar Muni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(०५०८०७०६०६० ५०८० <०<२०८५०००८०+८०<२<> >> थञ श्रीमदर भगवतीजी सूत्र कि वाचना ! है पूक्यपाद प्रावःसमरणिय मुनिभी शानसुस्दरण्ी महारा' े शसाडिव कि अनुप्रद कृपासे मारे छीहावट पैसे घाममें । भोमद्‌ भगषतोजीसूतच कि थाथना संघत्‌ १९७९ का चंत्र वर ह ६ से प्रारंभ हुइ॒यी लिस्फे दरम्यान हमे यहुत छाम हुवा दै | मेसे थी भगषतीलोसूचका आधोपास्त ग्रधण कर शानपूमाकी | करना निस्के द्रष्यसे। | ५००० भी द्र॒ष्यामुयोग द्वितीय प्रये शिका। है ५००० प्रो शीध्रयोध भाग १०२-३-४-« थां इश्ार दशार प्रती 0 पकड़ी जिल्दम्ं बस्धाई गइ है मिस्मे तोसरां भाग 0३ शा. दज्ञारीमरूपी कुंघरलाली पारख कि तफैसे | ९ १००० भी भाषप्रकरण हा. जमनालालजी इस्ट्रयन्दशी 1 पारख कि तर्कसे । है १००० हो स्तथन सेप्रद भाग ४ था शा आइदांनफी अगर 0 चन्दजी पारख कि तफेसे । 0 इसके सिवाय झानध्यान कंटस्थ करना तथा भी सुख- 0 सागर शानप्रयारक सभा और श्रो जैन नक्युवक्र मित्रमंडल ( कि स्थापना होनेसे अच्छा उपकार हुथा है ९ अधिक दथ इस बातका है कि ज्ीस उत्सादा से भी ' मगवतीभी सूत्र प्रारंभ हुवाथा उनसे डी चढ़ते उत्सादासे भ्री 0 झानपंचमिकों पूछा घरभावशा बरथोडाके साथ निविश्नतासे 0 समाप्त हुवा है हम इस सुअधसर कि धारघार अनुमोदन 0 करते है अन्‍य सज्लनॉको भी अनुमादल कर अपना जह्म ७ चत्रित्र करना चाहिये किमधिकस | भषदीय | | जमनालाल योधरा राजमबाला, 0 मेम्बर श्री जैन नवयुवक मित्रमंडल मु लोहाबट-मारदाड ५ हि जो कक # न्ज ्स्




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