कन्नड राम चन्द्र चरित पुराणम् | Kannad Ram Chandra Charit Puranam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
39 MB
कुल पष्ठ :
688
श्रेणी :
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अभिनव पम्प चन्द्र - Abhinav Pamp Chandra
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परिमल प्रयाग - Parimal Prayaag
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पम्प रामायण रछ
रसम॑ भावमनंथम - रचनेंयं -कांव्यजश्ञरार्यूदु भा- .
विसि: नांदीपद त्ायकाभ्युदय पर्यतंबर॑ कूड शो-
घधिसि नोकको, रघुवंशराम कृतियॉछ पत्तेंप्ट पर्यंग्
पॉसेंवें. -. यत्नदिनाद्यरग्यतनरेकारादो्ड,. : पेछरे ॥ ३३ ॥
रागद्वेघष. निबंधमप्प: .कृतियं निर्बधदि . बंधमि . -
बागर्थ प्रोसतागें पेछदखिलंमं . रागाविलंसाकूप वि-
द्यागवंग्रह -, पीडितर,. स्वपरवाधाहेतुव॑. दुस्तरो- .
द्योग क्लेशितरागि बित्ति.. बेकवंतक्कूं , विंषोद्यालमं || ३४ ॥।
पॉगछदु महात्मरूज़ंज्वलमेनिप्प गुणंगल्वनुज्ज्वल प्रसि- '
ड्रिगें पॉलनागदुज्जलिसिद प्रतिम प्रतिभा प्रभावदि ..
पॉगढदु, दुरात्मरं मॉगदॉल्िदुगुछ पॉरशिक्लाद ना-
लगॉयवर्नेत्तु, . .नालगेयॉकछोदिदव॑. कृतिये - कृताथर्थने
भेदिसें भानु. भानु तममं तरिसंदु पदार्थमं परि«
ज|्छेदिसि कांए्रवोलू जनविलोचनप्रतिम , प्रभावर-
प्पादि कर्वीश्वरर नंद पद्धतियि तनगर्थ शुद्धिवे-. ... , :.
त्तादॉरेयंगमें . न्डबुदच्चरिये कविराज .वीथियॉछ ॥ ३६'।॥॥,
नायकनन्यनागें. . कंति' . विश्वुतमागदुदात्त राघव ....,
_नायकनागें ' विश्रुतर्मेंनिप्पुदु . विस्मयकारियल्तु का-
॥ ३५ ॥॥
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न अतक् अल कर 2२२६००२७३७२३२७/७८न 5 यररन ० पल जम 9१९45 <८०८# ०८ कर 2२५४५ ०५७०२२६०६००/२३६७७७२६५/६२२०६/०२३०२४००४३०९४४२२०३८४७०/६६४४३६६८८०१६
और ह॒वा,- वर्षा. और गणगर्जन का साथ-साथ निर्माण-किया है, उसी- तरह-
सज्जनों .एवं दुर्जनों की: एक साथ सृष्टि की है। ३२: इस. रघुवंश की
रामकथा में नावदी पद से नायकाभ्युदय तक रचित आठ-दस पद्मों में रस,
भाव, अर्थ को काव्यज्ञ - परखें।] ३३. कवि अपने विद्यागर्व के कारण,
रागद्वेष से दोषपूर्ण कृति को, हृदयंगम ढंग से. नक हकर उसमें: बाधक
बनता है, तो वह स्वयं में एवं ओरों में विष के उद्यान का निर्माण करता
है, और-कुंछ नहीं । ३४ महात्माओं की उज्ज्वल प्रसिद्धि के कारणीशृत
शुणों का वर्णण करके उत्तकी अप्रतिम प्रतिभा की प्रशंसा किए बिना,
दु्जंतों के मुंह की थूक्री हुई जूठझन की तरह; कृति निर्माण
करनेवाला कवि और उसकी क्ति क्या #तार्थ हो सक्रती है? ३५
सूर्य, अंधकार चीर देता है तो लोगों को हर वस्तु: स्पष्ट दिखाई देती
है। उसी तरह अप्रतिभ प्रतिभावान पूव॑वर्ती कवियों के राजमार्ग में कदम
बढ़ाकर कृतकृत्य होना-मेरे लिए क्या असाध्य (कार्य) है ? ३६ - कथा-
नायक साधारण हो तो कृति. प्रख्यात नहीं हो सकती । उदात्त . राघव
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