औपपातिकसूत्रम् | Aupaaatika Sutra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
45 MB
कुल पष्ठ :
826
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२
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१९
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३४
३५
सिपय
भगवान फे शिषप्यों का बाग्राभ्यन्तर मप-उपधान का यगन ।,..
भगवान महावीर रवामी के अनेकधिध शिप्यों फा घणन।
असुरकुमार देवों का भगवान के समीप आगमन, और
उनका वणन रब ह पे
नागकुमारादि भवनवासी देवा का भगवान के समीप आगमन,
और उनका वणन। .... पर .« 3३१-३33
व्यन्तर देचों का भगवान के समीप आगमन, और उनका
चणन । ५०० ,» ३३४०-३८
ज्योतिष्क देवों फा भगवान के समीप आगमन, और उनका
वर्णन । करत .» 3३५९-३४१
भगवान फे समीप घंमानिक देवा फा आगभन,औऑर इन क्रो सन ।,., 3५४२-३४६
घम्पा नगरी फे घासी छोगा का भगवान के दथ्न फ्री
उत्सुकता, और उनका भगवान के समीप जाना । >> टैशफज्टेविडे
प्रवृत्तिव्याप्रत द्वारा कृणिक का भगवान के आगमन फा परि-
प्लान, ओर राजा कृणिक द्वाग प्रवृत्ति व्याप्रत.फा सन््कार । .... ३६३-३६५
राजा कृणिक-हावारा बलब्याप्रत (सेनापति) का आधद्ान, और
उसे हाथी, घोटा, रथ आदि तथा नगर के सजवान फा अदिश। 358६-३६९
बलव्याप्रत-द्वारा हस्तिव्याप्रत को हाथी सजाने का आदेश आर
ह॒स्तिव्याप्ृत-द्वारा हाथियों का सजाना | ३७०-३४७
बलव्याप्रत-ह्वारा यानशालिक फो यान-सजान का आदेश, ओर
यानशालिक-द्वारा यानो को सजाना । ,० ३ै5क्-इेयरे
बलव्याप्रत-द्वारा नगरगुप्तिक को नगर सजाने का आदेदा, ओर
नगरणुप्तिक-द्वारा नगर को सज़ाना । >> उन३े-रेप्प५
आभिपषेक्य हस्तिरत्न-आहठि का निरीक्षण कर के बलब्याप्ठत का
कूणिक राजा के पास जा कर उन्हे भगवान के दर्शन के लिये
जाने की प्राथना करना | ्ड् इदलश्यद
फृूणिक राजा का व्यायामादि करके स्नान करना; दण्डनायक
आढि से परिविेष्टित हो गजराज पर आरुढ होना, ओर सभी
प्रकार के ठाट-बाद के साथ भगवान के दर्नन के लिय
प्रस्थान करना, उचित प्रतिपत्ति के साथ भगवान के समीप
पहुँचना, ओर पर्युपासना करना | - . » शेयथ-४३५
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