औपपातिकसूत्रम् | Aupaaatika Sutra

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Aupaaatika Sutra by घासीलाल जी महाराज - Ghasilal Ji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२ २२ अं + २४ १४ २६ २७ सर्द र्‌ १९ ३१ रे३े ३४ ३५ सिपय भगवान फे शिषप्यों का बाग्राभ्यन्तर मप-उपधान का यगन ।,.. भगवान महावीर रवामी के अनेकधिध शिप्यों फा घणन। असुरकुमार देवों का भगवान के समीप आगमन, और उनका वणन रब ह पे नागकुमारादि भवनवासी देवा का भगवान के समीप आगमन, और उनका वणन। .... पर .« 3३१-३33 व्यन्तर देचों का भगवान के समीप आगमन, और उनका चणन । ५०० ,» ३३४०-३८ ज्योतिष्क देवों फा भगवान के समीप आगमन, और उनका वर्णन । करत .» 3३५९-३४१ भगवान फे समीप घंमानिक देवा फा आगभन,औऑर इन क्रो सन ।,., 3५४२-३४६ घम्पा नगरी फे घासी छोगा का भगवान के दथ्न फ्री उत्सुकता, और उनका भगवान के समीप जाना । >> टैशफज्टेविडे प्रवृत्तिव्याप्रत द्वारा कृणिक का भगवान के आगमन फा परि- प्लान, ओर राजा कृणिक द्वाग प्रवृत्ति व्याप्रत.फा सन्‍्कार । .... ३६३-३६५ राजा कृणिक-हावारा बलब्याप्रत (सेनापति) का आधद्ान, और उसे हाथी, घोटा, रथ आदि तथा नगर के सजवान फा अदिश। 358६-३६९ बलव्याप्रत-द्वारा हस्तिव्याप्रत को हाथी सजाने का आदेश आर ह॒स्तिव्याप्ृत-द्वारा हाथियों का सजाना | ३७०-३४७ बलव्याप्रत-ह्वारा यानशालिक फो यान-सजान का आदेश, ओर यानशालिक-द्वारा यानो को सजाना । ,० ३ै5क्‍-इेयरे बलव्याप्रत-द्वारा नगरगुप्तिक को नगर सजाने का आदेदा, ओर नगरणुप्तिक-द्वारा नगर को सज़ाना । >> उन३े-रेप्प५ आभिपषेक्य हस्तिरत्न-आहठि का निरीक्षण कर के बलब्याप्ठत का कूणिक राजा के पास जा कर उन्हे भगवान के दर्शन के लिये जाने की प्राथना करना | ्ड् इदलश्यद फृूणिक राजा का व्यायामादि करके स्नान करना; दण्डनायक आढि से परिविेष्टित हो गजराज पर आरुढ होना, ओर सभी प्रकार के ठाट-बाद के साथ भगवान के दर्नन के लिय प्रस्थान करना, उचित प्रतिपत्ति के साथ भगवान के समीप पहुँचना, ओर पर्युपासना करना | - . » शेयथ-४३५




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