अनुपान दर्पण | Anupan Darpan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
142
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अस्तावना 1
नि
शरीरके आरोग्य होनेकी औषध सेवन करना चाहिये, सो बात आबाल
' ृृद्धोंकी मादम है, एस कौनसी दवाई किस अदुपानके साथ छेनी यह वात
साधारण वैद्योकोमी समझती होंगी,ऐसा नहीं कह सकते कि, अमुक रोग हुआ
होय तो अमुक औषध लेना, परतु वह औषध यथायोग्य अनुपानके साथ
नही लिया जाय तो उससे यथोक्त गुण आता नहीं, इसवास्ते हमने श्रीमद्दा-
धोचबशभूषण श्रीवलदेवसूनु श्रीज्ञाससरामजी पडितवर्येजीसे सुश्रुतआदिक
विविध आयुर्वेदीय प्रथोंके प्रमार्णेतहित यह “अनुपानदर्पण”” नामक नवीन
प्रथरचना कराय स््रकीय “ श्रीर्वेकटेश्घर ” छापाखानामें छापकर प्रसिद्ध
किया है | |
समस्त वैद्य और सर्व छोगोंको प्राथेना कीजातीहै कि, महाहयों | इस
प्रथम कहेडुयेके! अनुसार उस उस रोगर्मे औपध सेवनर्मे अनुपानकी यथोक्त
योजना करके औौषधका सेवन करके रोंगको नष्ट करो, और शरीरका आरोग्य
पाकर इस शरीरके द्वारा घमे, अर्थ, काम, तथा मोक्ष इन पुरुषार्थोका साधन
करो, और उक्त पडितजीके परिश्रमोंकों सफल करो. किमघिकम् )
जा
आपका छृपाकाक्षी--
खेमराज श्रीकृष्णदास,
“श्रीवेंकटेश्वर'” छापाखाना-मुंबई.
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