असमिया माधव कन्दली रामायण | Asamiya Madhav Kandali Ramayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
60 MB
कुल पष्ठ :
944
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)' भाधव कंदली रामायण २३
ढुलड़ी
मारद वदति पाचे रघुपति पुरुष महा सहत्त।
लगाइ अपसान सपन्ना विद्यमाव जानकीक त्यजिबन्त ॥
जगत जननी. जनक चन्दिनी रासत हुया नेराश।
अगमि संजालि घृतनचय ढालि ताते करिबन्त जास॥ १०३
नवदहिब गाव हुया शुद्धभाव बहिबन्त जगलाव।
देवगण.. ससे राजा दशरथ आसिवा रासर ठाव ॥
तिनि पितापुत्रे एकथान हुई गले बॉन्ध कान्दिवन्त । '
पाचे दशरथे रामक प्रशंसि ककेयीक निन्दिवन्त ॥ ४
अनन्तरे ब्रह्मा देव राघवक स्तुति करिबन्त गेया।
सरा दानरक रासे जीयाइबन्त बासरत वर लेया 0
पितुर बचते सम्बरिया रासे सीताक परस तुष्दि।
देवगण ससे. राजा दशरथ जाइबस््त स्वर्गक उठि ७५
बानर भालुक राक्षस 'सहिति प्रृष्पक विसाने चड़ि।
लक्ष्मण जानकी समन्विते राम अयोध्याक जाइब लरि ४
पाचे रामे भरहाजर आश्रम रहिया लंबन्त बर।
समसस््ते वृक्षत हैब मधुफल भुजिव ताक बानर ॥ ६
भरत लक्ष्मण राम शत्रुधत चारि हुया एकथाव।
। करि जठटा छेद एरिबन्त खेद चारियो बीर प्रधान ॥
तात अनन्तरे अयोध्या नगरे हेवन्त राजा राघव।
तुलि ,छन्न दंड वाया बाच्रभंड करिव लोके उत्सव 0७
७०5 ल ७ 5लअ-
दोलड़ी (छत्द)
नारद ने कहा, इसके बाद पुरुषोत्तम महान् रघुपति सारी सभा के सम्मुख सीता
पर लॉछन लगाकर उसका त्याग करेंगे। जगतृ-जनती जनतक-तन्दिती राम (के कटु
वचनों) से निराश होकर आग जलाकर उसमें घी आदि डालकर प्रवेश करेंगी ।1 १०३ ॥।
उनकी देह जलेगी नहीं और (उसमें से) शुद्ध पवित्न होकर जग-माता सीता तिकल
आयेंगी। देवताओं के साथ राजा दशरथ राम के पास आयेगे। तीनों पिता-पुत्र
एकत्र होकर गले मिलकर रोयेगे। वाद में दशरथ राम की प्रशंसा करते हुए
ककेयी की निन््दा करेंगे ।| ४ ॥। इसके वाद ब्रह्मा आकर राघव की स्तुति करने
लगेंगे | हे वासव (इन्द्र) से वर लेकर राम मरें हुए वानरों को जिलायेगे। पिता
के वाक्यों से राम सेभल जायेगे, और सीता को भी परम सनन््तोय प्राप्त होगा।
देवगणों के साथ राजा दशरथ भी स्वर्ग की ओर प्रयाण करेंगे। ५॥ वानर-भालू
और राक्षसों के साथ पुष्पक विमान में सवार होकर राम लक्ष्मण तथा जानकी के साथ
अयोध्या के लिए चल पडेगे। इसके बाद राम भरह्ाज-आश्रम में रह कर वर प्राप्त
करेंगे कि सारे वृक्षों में मीठे फल फलेगे जिनको वानर खायेंगे ॥ ६॥ भरत, लक्ष्मण,
राम और ण्तुघ्त चारों एक स्थान पर इकठ्ठे होगे। जठाएँ कटवा कर चारों वीरश्रेष्ठ
शोक से मुक्त होंगे। इसके बाद अयोध्या नगर में राघव (राम) राजा होगे।
उत्त-देंड उठाकर बाजा बजाते हुए लोग उत्सव मनायेगे 1 ७॥ राम के ऊपर
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