पीड़ित चेहरों का मर्म | Peedit Cheharon Ka Marm

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : पीड़ित चेहरों का मर्म  - Peedit Cheharon Ka Marm

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मानिक बच्छावत - Maanik Bacchhavat

Add Infomation AboutMaanik Bacchhavat

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
सूखा सूखा है सब कुछ सूख गया है यहां चरमरा रहो हैं खेजड़ियां पेड़ों की रूह कांप रही है किसी बूढ़े रोगी को झुको कमर-सी लटक एई हैं डालें न जाने कब टूट गिरें चर्‌ चर्‌ करतीं 'फट गई है जमीन जगह-जगह जैसे वुभुक्षु के ओठों को 'पपड़ियां धूल के गुबार में सब कुछ रूखा, धुंधला और वीरान मटके नहीं डबडबाते कुओं-बाबड़ियों में नदी नंगी है उसके शरीर पर कोई वस्त्र नहीं पीड़ित चेहरों का मर्म/27




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now