पीड़ित चेहरों का मर्म | Peedit Cheharon Ka Marm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
476 KB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सूखा
सूखा है
सब कुछ सूख गया है
यहां
चरमरा रहो हैं खेजड़ियां
पेड़ों की रूह कांप रही है
किसी बूढ़े रोगी को झुको कमर-सी
लटक एई हैं डालें
न जाने कब टूट गिरें
चर् चर् करतीं
'फट गई है जमीन
जगह-जगह
जैसे वुभुक्षु के ओठों को
'पपड़ियां
धूल के गुबार में
सब कुछ रूखा, धुंधला और वीरान
मटके नहीं डबडबाते
कुओं-बाबड़ियों में
नदी नंगी है
उसके शरीर पर कोई वस्त्र नहीं
पीड़ित चेहरों का मर्म/27
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