पथ - पाथेय | Path - Pathey
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
947 KB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पेड की परछाई
चेठ की परछाई मेरे कमरे मे आती है
कोरी दीवार रोज रात थिल मित्राती है
रात का है रग मगर नक्श ऊितने सुन्दर हैं
कंसी बारीबिया में बात बना जाती हे
मेरा यह घर यही रीत चली आती हे
है तो क्राऐ का पर बात सी रह जाती है
चौथी मज्जिल है जो अप तीसरी कहलाती है
लिपठ है वो साधन जो दूरिया मिटाती है
कहने का तीन ही ह रूम मगर सुन्दर है
सुन्दरता लीप पोत से न जानी जाती है
दष्य हैं जा करते है मानस को मुखरित
कुहरे को यु थ कई चीज जगा लातो है
ऐसे ही झनन झनन पत्तो का रास यह
डालियो की सतन सनन फूलों की वास यह्
जिदगी को जीने वी देती बधाई सी
हरियाली आखो को कितना लुभाती हे
नटखट है जीव यहा चिडिया गिलहरोी भी
चाय चाँय च् चू मे मस्ती जताते है
कौओ के झु ड जँसे करते शरारत है
काँव काव भूलो के सदेशे लाते है
सामने की छत पे वहा पेडो से कृदकर
सीन हैं लगूर जो दोपहरी मे आते हैं
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