हिन्दी - शब्द - कल्पद्रुम | Hindi - Shabd - Kalpadrum
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
82 MB
कुल पष्ठ :
720
श्रेणी :
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No Information available about रामनरेश त्रिपाठी - Ramnaresh Tripathi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अरणुवादी
उशराएनुन्यआम॥न-रारत कक
( १७ )
अति उक्ति
और आत्मा के अणु माना गया हो वह दर्शन या | अगडेल (वि०) भ्ण्डावाली, जिसके पेट में अ्रण्डा हो ।
सिद्धान्त, वैशेषिक दर्शन, वज्लभाचार्य का मत ।
अणुवादी (सं० पु०) नेयाग्रिक, वेशेषिक दर्शन के
मानने वाला, वल्लमाचार्य मतानुयायी वेष्णव ।
अरावीक्षण (सं० पु०) सूचमदशकयंत्र, छिद्धान्वेषण ।
|
' श्रतः (क्रि० वि०) इसलिए, इस हेतु, इसी कारण, इससे ।
अतएव (क्रि० वि०) इसी लिए, इसी कारण ।
अतध्य (बि०) असत्य, कूठ, अयथाथ, अन्यथा, असमान।
अतदुगुण (सं० पु०) अलंकार विशेष, इसमें एक वस्तु का
अणोरणीयान् (सं० पु०) उपनिषद् का मन्त्र विशेष,
सूचमाति सूक्ष्म, छोटे स छोटा ।
अगटा (सं० पु०) बड़ी गोली ।
अण्टागुडगुड़ (वि०) बेहेशश, नशे में चूर, अ्रचेत, बेसुध ।
अराटाघर (सं० पु०) गोली खेलने का घर। [उत्तान ।
अराट/चित (क्रिण्वि०) चित पड़ा हुआ,बेलाग गिरा हुआ,
[गहा ।
अराटाबंधू (सं० पु०) जश्रा खेलने की कोड़ी ।
अरिटया (सं० सत्री०) घास का छोटा गह्दर, पूला, छोटा
अगिटयाना (क्रि० स०) घास का छोटा पूला बांधना,
हथेली में छिपा लेना, अंगुलियां में छिपाना, अंगु-
लियों में लपेट कर डोरी की पिडी बनाना ।
अराटी (सं० ख्री०) अंगुलियों के मध्य का स्थान, गांड,
घेती का वह भाग जो कमर पर लपेटा रहता है ।
अरगठई (सं० ख्री०) किलनी, चिचड़ी, छोटे कीड़े जो
जानवरों के अ्रज्ञ में लपटे रददते हैं । [अंठली,गिलटी ।
अराठी (सं० खी०) गृठली, बीज, चीयाँ, गांठ, गिरदद,
अराड (सं० पु०) अ्रण्डा, अण्डकोश, वीये, कस्तूरी, झृग-
नाभि, विश्व, संसार, कामदेव ।
अराडकटाह (सं० पु०) विश्व, ब्रह्माण्ड, सार, जगत ।
|
अरणडकोश (सं०पु०) थैली, मुष्क,आाण्ड, खुसिया, वृषण ।
श्रराइ्ज़ (सं० पु०) अ्रण्ड से उत्पन्न होने वाले जीव,
पक्षी, सप, मछुली, गोह, गिरगट आदि । [बकबक ।
अराडबरड (सं० स्त्री०) प्रलाप, बे धिर पेर की बात,
अराड़स (सं० सत्री०) कठिनता, असुविधा, संकट ।
श्रएडा (सं० पु०) पक्षियों आदि के पैदा होने का स्थान
गोलाकार ।
अराडी (सं० सत्री०) रेशमी वख विशेष, यह रद्दी रेशम
न्
ओर छाल झादि से बनाया जाता है, अधिकतर
यह ओदढ़ने के काम आता हे, रंडी, एरंड ।
अराडुआ (सं० पु०) पत्रिना बधिया किया हुआ पशु,आंडू | '
अरडुआ बैल (सं० पु०) बिना बधिया किया हुआ बैल,
सांड, वह मनुष्य जिसका पोता बहुत बड़ा हो,
झालसी भ्नुष्य ।
किसी ऐसी अन्य वस्तु के गुणों का न ग्रहण करना
दिखलाया जाता है जिसके वह अत्यन्त सन्निकट
हो । [बिना देह वाला ।
अतनु (सं० पु०) अनंग, कामदेव (वि०) शरीर रहित,
अतन्द्रित (वि०) आलस्य हीन, निद्रा रहित, बिना
आलस्य का, चपल, चंचल ।
अतर (सं० पु०) पुष्पसार, इस्र ।
अतरदान (सूं० पु०) सोने चांदी ग्रिल्ट आदि का फूल-
दान के समान बना हुआ पात्र जिसमें इतर से तर
रुई रख कर महफिलों में सत्कारा्थ सब के सामने
रक््खा जाता हे । [की क्रिया ।
अतरंग (सं० पु०) लड़र, ज़मीन से उखाड़ कर रखने
अतरसो (क्रि० वि०) परसों के आगे का शआने वाला
दिन, वततमान दिन से आने वाला तीसरा दिन |
अतर्कित (वि० ) बिना सोचा विचारा, श्राकस्मिक,
जिसका पहले से अनुमान न किया गया हो, जिसका
विचार न किया गया हो ।
अतकर्य (वि०) अविवेचनीय, जिस पर विवेचना न हो
सके, अचिंत्य, अनिवंचनीय ।
अतल (वि०) बिना पेंदे का, जिसमें तल न हो, (सं०पु०)
सात पातालों में से दूसरा पाताल ।
अतलस (अ्र० सं० खत्री०) रेशमी त्रस्त्र विशेष, यह बहुत
मुलायम होता है ।
अतलस्पशी (वि०) अथाह , बहुत गहरा ।
अतवार (सं० पु०) रविवार ।
अता (सं० ख्री०) अनुप्रह, दान ।
अतसी (सं० सत्री०) तीसी, अलसी ।
अताई (वि०) प्रवीण, कुशल, घूर्त, चालाक, अशिक्षित,
(सं० पु०) गवैया, बजवैया ।
अति (वि०) अत्यन्त, अधिक, बहुत, (सं० खत्री०) अधि-
कता, सीमा का उल्ल घन ।
क् अति उक्ति (सं० ख्री०) बढ़ा चढ़ा कर किसी बात को '
कहना, असम्भव, प्रशंसा, भध्युक्ति |
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