हिन्दी - शब्द - कल्पद्रुम | Hindi - Shabd - Kalpadrum

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Hindi - Shabd - Kalpadrum by रामनरेश त्रिपाठी - Ramnaresh Tripathi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अरणुवादी उशराएनुन्यआम॥न-रारत कक ( १७ ) अति उक्ति और आत्मा के अणु माना गया हो वह दर्शन या | अगडेल (वि०) भ्ण्डावाली, जिसके पेट में अ्रण्डा हो । सिद्धान्त, वैशेषिक दर्शन, वज्लभाचार्य का मत । अणुवादी (सं० पु०) नेयाग्रिक, वेशेषिक दर्शन के मानने वाला, वल्लमाचार्य मतानुयायी वेष्णव । अरावीक्षण (सं० पु०) सूचमदशकयंत्र, छिद्धान्वेषण । | ' श्रतः (क्रि० वि०) इसलिए, इस हेतु, इसी कारण, इससे । अतएव (क्रि० वि०) इसी लिए, इसी कारण । अतध्य (बि०) असत्य, कूठ, अयथाथ, अन्यथा, असमान। अतदुगुण (सं० पु०) अलंकार विशेष, इसमें एक वस्तु का अणोरणीयान्‌ (सं० पु०) उपनिषद्‌ का मन्त्र विशेष, सूचमाति सूक्ष्म, छोटे स छोटा । अगटा (सं० पु०) बड़ी गोली । अण्टागुडगुड़ (वि०) बेहेशश, नशे में चूर, अ्रचेत, बेसुध । अराटाघर (सं० पु०) गोली खेलने का घर। [उत्तान । अराट/चित (क्रिण्वि०) चित पड़ा हुआ,बेलाग गिरा हुआ, [गहा । अराटाबंधू (सं० पु०) जश्रा खेलने की कोड़ी । अरिटया (सं० सत्री०) घास का छोटा गह्दर, पूला, छोटा अगिटयाना (क्रि० स०) घास का छोटा पूला बांधना, हथेली में छिपा लेना, अंगुलियां में छिपाना, अंगु- लियों में लपेट कर डोरी की पिडी बनाना । अराटी (सं० ख्री०) अंगुलियों के मध्य का स्थान, गांड, घेती का वह भाग जो कमर पर लपेटा रहता है । अरगठई (सं० ख्री०) किलनी, चिचड़ी, छोटे कीड़े जो जानवरों के अ्रज्ञ में लपटे रददते हैं । [अंठली,गिलटी । अराठी (सं० खी०) गृठली, बीज, चीयाँ, गांठ, गिरदद, अराड (सं० पु०) अ्रण्डा, अण्डकोश, वीये, कस्तूरी, झृग- नाभि, विश्व, संसार, कामदेव । अराडकटाह (सं० पु०) विश्व, ब्रह्माण्ड, सार, जगत । | अरणडकोश (सं०पु०) थैली, मुष्क,आाण्ड, खुसिया, वृषण । श्रराइ्ज़ (सं० पु०) अ्रण्ड से उत्पन्न होने वाले जीव, पक्षी, सप, मछुली, गोह, गिरगट आदि । [बकबक । अराडबरड (सं० स्त्री०) प्रलाप, बे धिर पेर की बात, अराड़स (सं० सत्री०) कठिनता, असुविधा, संकट । श्रएडा (सं० पु०) पक्षियों आदि के पैदा होने का स्थान गोलाकार । अराडी (सं० सत्री०) रेशमी वख विशेष, यह रद्दी रेशम न्‍ ओर छाल झादि से बनाया जाता है, अधिकतर यह ओदढ़ने के काम आता हे, रंडी, एरंड । अराडुआ (सं० पु०) पत्रिना बधिया किया हुआ पशु,आंडू | ' अरडुआ बैल (सं० पु०) बिना बधिया किया हुआ बैल, सांड, वह मनुष्य जिसका पोता बहुत बड़ा हो, झालसी भ्नुष्य । किसी ऐसी अन्य वस्तु के गुणों का न ग्रहण करना दिखलाया जाता है जिसके वह अत्यन्त सन्निकट हो । [बिना देह वाला । अतनु (सं० पु०) अनंग, कामदेव (वि०) शरीर रहित, अतन्द्रित (वि०) आलस्य हीन, निद्रा रहित, बिना आलस्य का, चपल, चंचल । अतर (सं० पु०) पुष्पसार, इस्र । अतरदान (सूं० पु०) सोने चांदी ग्रिल्ट आदि का फूल- दान के समान बना हुआ पात्र जिसमें इतर से तर रुई रख कर महफिलों में सत्कारा्थ सब के सामने रक्‍्खा जाता हे । [की क्रिया । अतरंग (सं० पु०) लड़र, ज़मीन से उखाड़ कर रखने अतरसो (क्रि० वि०) परसों के आगे का शआने वाला दिन, वततमान दिन से आने वाला तीसरा दिन | अतर्कित (वि० ) बिना सोचा विचारा, श्राकस्मिक, जिसका पहले से अनुमान न किया गया हो, जिसका विचार न किया गया हो । अतकर्य (वि०) अविवेचनीय, जिस पर विवेचना न हो सके, अचिंत्य, अनिवंचनीय । अतल (वि०) बिना पेंदे का, जिसमें तल न हो, (सं०पु०) सात पातालों में से दूसरा पाताल । अतलस (अ्र० सं० खत्री०) रेशमी त्रस्त्र विशेष, यह बहुत मुलायम होता है । अतलस्पशी (वि०) अथाह , बहुत गहरा । अतवार (सं० पु०) रविवार । अता (सं० ख्री०) अनुप्रह, दान । अतसी (सं० सत्री०) तीसी, अलसी । अताई (वि०) प्रवीण, कुशल, घूर्त, चालाक, अशिक्षित, (सं० पु०) गवैया, बजवैया । अति (वि०) अत्यन्त, अधिक, बहुत, (सं० खत्री०) अधि- कता, सीमा का उल्ल घन । क्‍ अति उक्ति (सं० ख्री०) बढ़ा चढ़ा कर किसी बात को ' कहना, असम्भव, प्रशंसा, भध्युक्ति |




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