माँ टेरेसा | Ma Teresa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)माँ टेरेसा 2: 25
है कि माँ अच्छी तरह जानती हैं कि सिस्टरों के काम वाज के अच्दे-बुरे से मिशत-
रोज ऑफ़ चैरिटीज का भवा-बुरा अ्त्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है।
उसी साल, 1949 ई० का उत्लीस मार्च का दिन भी याद रखने योग्य है।
फई बंगाली युवत्तियां स्वय भ्रवृत्त होकर माँ के पास आयी। युवतियाँ मो गो ही
विद्यार्थी थी, मिस्टर अग्नेस का पहले का नाम सुभाषिणी दास या। सिस्टर अस्नेस
के बाद एक बरस में और भी कई युवतियाँ शामिल हुईं। ये थों मिस्टर
कलेयर (किरण दत्त), सिस्टर वर्नाई (रोडारिग्रो), स्रिस्टर डोरोबी फ्रांसिस
(गोमेज्), सिस्टर गद्ँ,ड (गोमेज), मिस्टर लेटीसिया (माइकेल गोमेश झी दीदी
की बेटी), सिस्टर फ्राप्तिस्का (रोजारिओ), स्रिस्टर पलोरेंस विमेंट (गोमेड),
सिस्टर मार्गरेट मे री (रेजिया मोमेड)--ये सभी 1949-50 ई० में सेवा बेः
आदर्श से प्रेरित होकर माँ टेरेसा के काम में सम्मिलत हुईं।
बहुत आँधी-तूफान झेलकर इन सिस्टरों ने आज माँ के निर्देश में अनेक जगहों
पर दायित्वपूर्ण पद का भार संभाला है। ति.स्वार्थ सेवा के मंत्र मे दीक्षित वे नी रव
काम करती रही हैं। 1951 ई० से, आज से उततीस बरस पहले, मिशनरीज
ऑफ़ चैरिटीड का दीपक जल्न उठा । अंधकार से प्रकाश की ओर घमने के पच्चीस
बरसों के निरंतर कार्य ने मदर टेरेसा को सफलता की चोटी पर पहुँचा दिया।
सात
कोई भाषण, वक्तव्य, पत्रकार-सम्मेलन नही । यह सब उन्हें पसंद नहीं है। जीवन
को अंतर्मुखी बना लेने में ही मुप का स्वाद निहित है। माँ प्रोडितों और अवाछित
लोगो में मिल गयी । ईश्वर प्रजापीढ़क नही हैं--वे प्रजापालक हैं। एम आत्म-
पीड़न नही होता है--अपनी उन्नति का साधने, अपता आनददवर्दधन ही धर्म है।
ईएवर में भक्ति, मनुष्यों के प्रति प्रेम, और हृदय मे धांति ही धर्म है । भक्त, प्रेम,
शांति--इन तीन शब्दों मे जो वस्तु चित्रित हुई उसकी मोहिनी मू्ति की अपेक्षा
ससार में और वया है? माँ उसी मत को लेकर आगे ढढ़ो । दुंटियों में, बस्तियों में
दरिद्व मनुष्यों से प्रेम का संबंध स्थापित किया।
हइतने बड़े शहर में आप अदेली ? ऐसे रहने मे आपकी भूतपूर्वे छात्रा
बिलकुल तिरीह एक बंगातो लड़की, सिस्टर अग्नेस है। पही तो आपडी इस समय
सहकर्मी है। इस बडे भारी कर्मयज्ञ का दायित्द लेकर गया आपके मन में कोई
दुविधा, ढंद्व, मा कोई आधंका नही होती ?*
«न, कोई आशका उतन्न नहीं होती 7”
कै.
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