चन्द्र महीपतिः | Chandramahipati
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
345
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( २६ )
बधकाव्यनिर्मातूमाघवत्, शिवराजविजया दिकाव्यनिर्मातृभीमदम्बिकादत्तवत्+. नजा-
काव्यादिनिर्मातृहरिद्विजवच्च कविरयं श्रीनिवासशास्सिप्रवरो5पि राजस्थानीय । अनेकेपां
पाबनवरिताणा राज्ञां महाराजानामिव, पष्टितप्र्ण्डाना वैज्ञानिकधुरन्धराणामिव च॑
राजस्थानस्य पुष्यभुमिरेताहशाना कविपुद्नवानामप्युवेरा श्रसविभ्ीति सदर श्रम देसन्नेव
गशुर्णैकपक्षपातिनों निमेत्सरा सामिका ।
(६ ) इद्द हि नानाश्ञास्ताणा मनोरमसमन्वयवत्» नवप्रभाभाखराणा जीवनों
परयोगिनां समस्ताना यानादिसाधनानाम्, शस्त्रास्ताणाम& यस्जाणाम/ वादानाम, व्यव-
द्वारपाद्धापि तथा नाम व्तोद्दारी सनिवेशोइक्ियत, यथा नाम कवेरस्य सवेन बहुज्ञता
बहुदशिता च प्रस्फुट प्रतिभासते । विरठा एवेदादशा क्वयो च्युवज्ञा विद्वांसश ।
( ७) इद स्र्याचद्रमसोरश्यास्त्मया, नर्क्ता दनस्यावस्थापर्याया , शरद्वसन्तन
द्वेमन्तादोनामवृना प्रतय » वनोपबवनरम्यदम्यनदनदीसरित्समुर्पवेतदरदादिस निवे शानां
बणनानि च चेतश्वदुल्यम्ति तथा सजीवानि सात, यया द्र॒प्ट पुरस्ताबित्रमिवा
झुयन्ति1. सहद्विस्मृत्यात्मान सुग्पो विदग्धो जनो$लौकिके करिमेश्वनानन्दापार-
पारावारे चिर निमजत्येव, यावदुन्मजति तावत् पर कश्वनाददौष पुर प्रपपन्नात्मनि
विलीनयति सद्ददयम्। नेमानि कथप्िदपि द्वीयते कादम्भर्यादीनां यर्ण्नेभ्य इति
मुफ्क्ण्ठ॑ वक्त श्यते।
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