तिलोयपण्णत्ती भाग - 3 | Tiloy Pannatti Bhag - 3

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Tiloy Pannatti Bhag - 3  by विशुद्धमती माताजी - Vishuddhamati Mataji

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about विशुद्धमती माताजी - Vishuddhamati Mataji

Add Infomation AboutVishuddhamati Mataji

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अ्रभीक्षणज्ञानोपयोगी, श्रार्षमार्ग पोषक परम प्‌ू० १०५ आधथिका श्री विशुद्धमती माताजी [ संक्षिप्त जीवन वृत्त ] गेहुँआ॥ वर्ण, मफोला कद, श्रनतिस्थूल शरीर, चौडा ललाट, भीतर तक भाकती सी ऐनक धारण की हुई भाँखे, हितमित प्रिय स्पष्ट बोल, संयमित सधी चाल भौर सौम्य मसुखमुद्रा-बस, यही है उनका शअ्रंगन्‍्यास 1 नगे पाँव, लुड्चितसिर, धवल शाटिका, मयूरपिच्छिका--बस, यही है उनका वेष विन्यास । विषयाशाविरक्त, ज्ञानध्यान तप जप में सदा निरत, करुणासागर, परदुःख कातर, प्रवचनपढ़ु, निस्पृह, समता-विनय-धेयं और सहिष्णुता की साकारमूर्ति, भद्रपरिणामी, साहित्य सृजनरत, साधना में वच्ध से भी कठोर, वातसल्य मे नवनीत से भी मृदु, आगमतिष्ठ, गुरुभक्तिपरायण, प्रभावनाप्रिय-- बस, यही है उनका श्रन्तर झ्राभास । जूली और जया, जानकी श्र जेनुन्निसा सबके जन्मो का लेखा जोखा नगर पालिकाये रखती है पर कुछ ऐसी भी हैं जिनके जन्म का लेखा जोखा राप्ट्र, समाज और जातियो के इतिहास स्नेह ओर श्रद्धा से अपने अक मे सुरक्षित रखते है। वि० स० १९८६ की चैत्र शुक्ला तृतीया को रीठी ( जबलपुर, म० प्र० ) में जन्मी वह बाला सुमित्रा भी ऐसी ही रही है-जो आज है श्रायिका विशुद्धमती माताजी । इस शताब्दी के प्रसिद्ध सन्त पृज्य श्री गणेशप्रसादजी वर्णी के निकट सम्पर्क से सस्कारित धामिक गोलापूवे परिवार मे सदग्ृहस्थ पिता श्री लक्ष्मणलालजी सिघई एवं माता सौ० मथुराबाई की पांचवी सन्‍्तान के रूप में सुमित्राजी का पालन-पोषण हुआ । घू टी मे ही दयाधमं और सदाचार के सरकार मिले। फिर थोडी पाठशाला की श्षिक्षा, बस, सब कुछ सामान्य विलक्षणता का कही कोई चिह्न नही । आयु के पन्द्रह वर्ष बीतते-बीतते पास के ही गाँव बाकल मे एक घर की वधू बनकर सुमित्राजी ने पिता का घर छोड़ा । इतने सामान्य जीवन को लखकर तब कैसे कोई श्रनुमान कर लेता कि यह बालिका एक दिन ठोस आमगमज्ञान प्राप्त करके स्व-पर कल्याण के पथ पर श्रारूढ़ हो स्त्री पर्याय का उत्कृष्ट पद प्राप्त कर लेगी ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now