अमरकोश | Amarakosha

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Amarakosha by रविदत्त शास्त्री - Ravidatt Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रयम काण्ट-दिग्बग ३। १७ ताम्रकर्णी श॒ुश्नदन्ती चागना चाज्ननातरती । क्लीवाव्यय त्वपादिश विश्योमेध्ये विदिक्‌ खियाम ॥ ५॥ अभ्यन्तर सन्तराढ़् चक्रवाल तु मण्डलम्‌ । अश्ने मेघो वारिवाह' स्तनयित्नुबंछाहक ॥ ६ ॥ घासपरों जलवरस्वडित्वान्वारिदो5्म्बुमत्‌ । घनजीमूतमुदिरजल्मुग्धूमयोनय' ॥ ७॥ काद्म्विनी मेथमाढ़ा त्रिषु मेघमवेषभ्रियम्र । स्तनिर्त गरर्जित मेपनियोपे रासितादि च ॥ ८ ॥ शपाशतहृदाह्मदिन्यैरावत्य क्षणप्रमा । तडित्सीदामनी विद्यचश्चवला चपछा आपि ॥ ९, ॥ स्मूजयुवेद्ञनिर्धाप मेघज्योतिरिस्मद' । इन्द्रायुव शाकब॑नुस्तदेय ऋजुरोध्ितिम ॥ १० ॥ ऋमसे दिग्गज अर्थात्‌ विशाजॉको धारण करनेयाटरक ह | अश्र्ु, के पिला, गला) अनुपमा ॥ ४ ॥ ताम्रकणी, झुश्नदन्ती अगना, अज्जना बत्ती ये आठ (ख्री० ) नाम दिग्गजोकी हायिनियोँंक़ ह। अपडिण, विविश्‌ ( जान्‍्त ) ये ठो नाम दिश्याओके मध्ययाली दिशाफे ह। तहाँ अपदिशशब्ठ ( न० ) और अव्यय हं आर विदिर इब्न (सश्री-) है ॥ ५॥ अभ्यतर, अन्तगढ य ढो ( न० ) नाम भीनर अयफाशक हू । चक्रगाछ, मटर ये दो ( न ) नाम मण्टर अथात्‌ घेरेंफ € | अञ्र (न२) मंघ, वारियाह, स्तनयित्तु, पराहक ॥ ६ ॥ घाराधर, जरघर, ताटदिरच्त, ( मतान्‍्त ), वारिठ, अउभृत्‌ ( तानन्‍्त )) धन, जीमूग, झुदिर, जग्मुच ( चान्त ), चमयोते ये पद्ह ( पु० ) नाम मेपफ्रे € ॥ ७॥ फाठसियनी, मेघमाटा ये दो ( ख्री० ) नाम नेषकी फक्तिफ है । मेषमें जो हो उसे सभ्रिय कहते हु और वह तानो एिंगा है | जगे-। जश्विया साप, अ मिय सासार , अश्य जम्म्‌ ? इन वाक्योम खीं।टग, प्राटग, सपुमक लिग क्रममे ह | स्तानेत, गाजव, रजित आउडि ये तीन ( ७४८ ) पाम उेपड्रे गजनेके है ॥ 4 ॥ जपा, शत्ल्लदा, ह्ारिनी ऐगत़्ती, लणभ्रग्ग तटितु ( तात ), सीदामनी, विद्यप्‌ ( तान्त ), चश्चला, दा ये दण (सी ) नाम बिज्टीज हु ॥ ? ॥ सफ्तद) दह्नियाप ये दो (एप. ) नान यदक ३ नमो ।




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