सुगम ज्योतिषस्य | Sugam Jyotish

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Book Image : सुगम ज्योतिषस्य - Sugam Jyotish

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( रु ) सकता है। यद्द सामान्य वात है कि हलके दामें में इलकी चीज मिलती है और भारी दामों में माय ॥ गणित में एक ग्रह्नू की भूल होने से फल में बड़ा अ्रन्तर पड जातः है। अ्रमुक स्थान में अ्रमुक ग्रह है उसका यह फल है. कद देना सामान्य बात हैं | परन्तु सूत्रम विचार में ग्रह का वल्लावल निकालना पडता दे । यही कठिन विषय है। जेसे ही वेद्क शासत्र में भिन्न मिन्न अनुपानों से श्रोपधि का गुण वदल जाता हे ऐसे दी ज्येततिष में भी दृष्टि, स्थान, सम्बन्ध आदि से ग्रहों का छल बदल जाता दें | यथाथे फूल इसी रीति से निक- लता है॥ मद्रास के प्रसिद्ध ज्यातिपी बावू सूयेैनारायण रो एक ग्रहसाम्य करने की श्रथवा एक मुद्तें निश्चय करने की अथवा सनन्‍्तान आदि एक भाव का विचार करने की फीस एक छो रुपया लेते हैं। देखने में यह अ्रधिक जान पढ़ती हे परन्तु जे महाशय वी० ए० पास करके सब कामों को छोड़ दे अ्रपना जीवन केवल ज्योतिष की श्राजीविक्ा से व्यत्तीव करें, अ्न्वपण करके कई नई वातों के निकालें ओर सूच्रम विचार करके परिणाम बत्त- छातें उनके छिये यह फीस अ्रधिक नहीं है । जे। सो रुपया फीस लेगा तो फुछ सूत्षम विचार भी अवश्य करेंगा । हमारे देश में पाच मिनट में यह छाम्य होता है । पाच मिनद में नाठीवेध पदष्टक के विचार के अ्रतिरिक्त ओर कोई सूधम विचार नहीं हे सकता है । वम्तुतः श्रच्छे प्रकार से विचार हिया जावे तो दृक्षम विचार करने में बहुत समय लग जाता है ॥ विवाह करने में लोग वहुत्त व्यय कर डालते हैं । परन्तु विवाद फेवल उत्सव मनाना नहीं है । यह बड़ा उत्तरदायित्व का विपय है क्‍योंकि इसी पर जी पुरुषों के समस्त जीवन का भार निर्भर है । यदि अ्रच्छा जोड़ा मिल्लष गया सो यही समार स्वर्ग तुल्य है अन्यथा यहीं नरक का वास है। भावी सन्दान के सुस्र दु ख का निर्णय भी इसी विवाह के अ्रधीन है । इतने महान




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