कर्मकाण्डचन्द्रिका | Karmkandchandrika

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Karmkandchandrika by पं. देवदत्त शर्मा - Pt. Devdutt Sharmaरामचन्द्र - Ramchandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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स्वस्तिवांचलस्‌ .' ' १६ पदा०--हे सगवन ! (-ऋजणूथतां ) सरलतया छाचरण करने वाले ( देचानाम ) विद्वानों को ( भद्ठा ) कल्याण करने वाली ( खुमतिः ) अच्छी बुद्धि. (मं) हसको ( अभि, निषर्तताम्‌ ) प्राप्त दो, और (देवानां, रातिः) विद्वानों का विद्यादि पदार्थो का दान “भाप्त दो? ( देवानां ) चिद्धानों के ( सख्यम्‌ ) मित्र भाव को ( वयं ) हम लोग ( उपसेदि्म ) पाप्त हो, जिलसे वे ( देवाः ) विद्वान लोग ( नः ) इमारी ( आयु: ) श्रवस्था को (जौवले) दीध॑कालपर्य्यन्त जीने के लिये ( प्र, तिरम्तु ) पढ़ावे । साधा०--इ मंत्र में विद्ञानों के सत्संग दारा आयुवुद्धि की प्रार्थना की गई है कि हे परमपिता परमात्मा ] आप ऐसी रूपा फर्र कि सदा बाय विद्वानों की कल्याणकाश्क शंभवुद्धि हमें प्राप्त दो, अर्थात्‌ हम लोग कर्मकारडी, अजु- छाती तथा परमात्मपरायण विद्धा्ों फे अज्ञुगामी दो, और उनसे खदा मैची भाष से यर्ते जिससे थे प्रसन्ष दो दीर्घजीची दोने का उपदेश कर, यायां कही कि * ये हमें अह्मचय्ये पोलन फरने की विधिवतलावे जिससे हम पूर्ण आयु चाले हो।॥ तमीशानं जगतस्तस्थुपस्पतिं धिय॑ जिन्वमवसे हमहेंवयम्‌। पूषा नो यथा वेदसामसदबृधेर्राक्षता पायुरूव्यः स्वस्तये ॥२४॥ पद०--(चर्य ) दम लोग ( इशानम्‌ ) ऐश्वय्यंवाले ( जगवस्तरुथुषध्पति ) चर और अचर जगत्‌ के पति ( घिय॑, जिन्वम्‌ ) घुद्धि से प्रलत्ष करने वाले परमांत्या की (अपसे ) अपनी रच्चा फे लिये ( हमद्दे ) स्तुति करते हैं, ( यथा ) जैसे कि वह ( पूषा ) पुष्ठिकर्ता ( चेदसाम्‌ ) धर्नों की ( चथे ) बद्धि फे लिये ( अखत्‌ ) दो, ( रक्षिता ) खामान्यतया रक्षक, और (.पायुः ) विशेषतया रक्तक .( अदृब्धः ) कार्यों का साधक परमात्मा € स्वस्तये ) कल्याण के लिये द्वो “चेसे दी दस स्तुत्ति करते छे? | . भाषा० -इम लोग पेश्वर्य्यसस्पन्न, चराचर जगत के स्वामी तथा ० मेघांदुद्धि दृए्या भराप्त दोने योग्य परमात्मा फी स्तुति करते हैं, ताकि वद पुष्टि कारक पदार्थों से हमारी रच्ता फर, और सब कालों में रच्तक परमात्मा विशेष- - शया इमाओे कार्यों को सिद्ध. करते हुए लदा कल्याणकारी दे ॥ स्वस्ति न इन्द्रो चृदुश्रवाः स्वृस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्तिनस्ताक्ष्यों अरिष्दनेमिःस्वस्तिनोबृहस्पतिदंधातु ॥ _ पदृ(०--( इद्धअवाः ) बहुत फीति चाला ( इन्द्रः ) परमैश्षय्येयुक्त ईश्वर ( ना ) इमारे किये ( स्वस्ति ) कल्याय फो ( द्धातु ) स्थापन फरे, ओर




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