महात्माओं के जीवन चरित्र की भूमिका | Mahatamao Ke Jeevan Charitra ki Bhumika
श्रेणी : जीवनी / Biography, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.22 MB
कुल पष्ठ :
322
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about स्वामी परमानन्द परमहंस पिशावर - Shvami Parmanand Paramhans Pishavar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दुत्तान्रेयजी हर तब कपोत और कपोतिनी इधर उपर से अपनी चौन वे दाना लाकर उन बचों को खिलाने ठगे जब कि वह बच्चे. मी कुछ घड़ेद्रोगये तब उसी दृक्ष के नीचे बह भी इधर उधर -खेलने छगे एकदिन कपोत और कपोतिनी वनमें कुछ दूर चढेगये और उनके पीछे उनके बच्चे भी आठने से निकठकर वन में इघर उधर फिरने छगे एक फन्दक ने वहां पर जाललगा कर उन वच्चों को अपने जाल में फैंसालिया इतने में वह कपोत और कपोतिनीभी अपने दृक्षपर आगये उन्हों. ने अपने बच्चों को जा में बंधायमान जब देखा तव वह दोनों रदन करनेठगे स्नेह के व में प्राप्तहोकर दोनों रोनेठगे बहुतसा विछाप करके क- पोतिनी ने कहा जिसकी सन्तति कप्टको प्राप्त होकर मारीजाय उसका जीने से भरनाही अच्छा है ऐसे कहकर कपोतिनी तिसी जाठ़ में गिरपड़ी तिंसको भी फन्दक ने बांध लिया तब कपोत दड़ा दुः्खीं हुआ कपोत ने विछाप करके कहा जिसका कुटुस्ब नष्टहो- .जाय तिसका मरनाही अच्छा अब में अक्रेला जीकर दया करूंगा ऐसा कहकर वह कपोत भी तिसी जाठ़-
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