पलासीका युद्ध | Palasika Yuddh

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Palasika Yuddh by तपन मोहन चट्टोपाध्याय - Tapan Mohan Chattopadhyay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पर्ताद़ीका पुद श्र जिचिज कहानियाँ झाज थी घुनतेशों मिली है । घन्तमें धाइस्ता रा बंगाख़के लदाद होकर भाय॑ और उत्हींते इत छोगोंकी पूरी छुदर शी ( पोधु वीडोके बंशबरोमें अनेक यहाँ विवाहादि कर दंगाली उपाजर्मे बुद़-मिक्त यये हैं। पूर्री बंपाकम ऐसे अलेक पोशुपीद बंधके मदतंस है जिले शूबे और मझूप कर पहुचारवा किस है । ४ उस ओर रच छोप भी पाह खगाय बैठे थे । पोतुदीयोके हुनलौ छाड़ते ही रब शोग उमक॑ स्यव्धायके उत्तराधिकारी बत औैठे । इसके बुफ़ पहुऐे ( उ्‌ १६२५ ६० ) हुपरीस मुश्रल फरौदयारके विकशुक सौद्योके मांगे रहूंगा खतरसे छाहो रही समप्तकर शच-स्टलॉडिया अफ्पनौने बहुसि थोड़ा हटकर चुंच॒शम मफ्त सिए स्थान कर किया भा । डुच सोप बंपाछे बड़े मड़ेम पैसे कमा रहे हैं, यह देख संग्रेश छोग मी मैगकूम आनेझ्य उपक्रम करते रुगे । इसके पहछे ही अंग्रेड़ छोग सूरत भद्गात्र और दाकेदबएमं पढे एल्ट-एक कोठी बददा कर जम चुके थे । उम्हें कमा कि बपर दे बंप्राफ़ें शा छा हो उसका स्पापार कुछ कराब हहीं अएऐला | दर्योजि शंधएछका सोर रेशम, चीमी अर सौर कपहा-- पहका मस्त छपी हुईं ऐ्ींट तदा मौटी घोटी---रुस समय संसार भस्म अपसिड पे । और साप ही यहाँ पंसारियोगाले मुछजुछ मसाके थाति भौ थे । केशव ककेफ्रे इड कोश उसका फाल क्यों मोवा करें ? आस्वृगमें हृत प्र कोटियोंका मालिक एक अंग्रेज स्पापारी कम्पनी थी । शम्दम घद्टपके कई बहे-बढ़ें लामो-मिरामी सोशवरोंने मिख्कर सापझदारोमे यह कम्पनी श्लोछी दौ। पन्‌ १६०० ई७ में इंपरैश्डढ्ो रानी एलियाबेद् 'इमहें एक चा्टर प्रदान किया । उसीक़े बहपए ये छोप दुमियाके पूर्णी भाग के स्दापाएपए एकापिपर्य जपानेडौ ष्टा्में कूमे । पूर्ष देशका उस रिलों ्‌




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