जैन - शिलालेखसंग्रह भाग - 1 | Jain - Shilalekhasangrah Bhag - 1

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Jain - Shilalekhasangrah Bhag - 1 by श्री हीरालाल जैन - Shri Hiralal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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: अन्द्रगिरि. ह छ् अतिरिक्त कुछ बस्तियाँ ( जिन-सन्दिर ) भी इस पहाड़ी परः हैं। दूखरी. छोटी पहाड़ी ( चिक्‍क बेट्ट ), जो ग्राम से उत्तर की ओर है, चन्द्रगिरि के नाम सें प्रस्यात है.। अधिकांश और प्राचोनतम लेख और बस्तियाँ इसी पहाड़ी पर हैं। कुछ मन्दिर, लेख आदि आम की: सीमा के भीतर हैं और शेष अ्रवणंबेल्गाल फे आस-पास के ग्रामों में हैं। श्रतः यहाँ के समस्त प्राचोन स्मारकों का वेणेन इन चार शीष को में करना ठीक होगा--( १ ) चन्द्रगिरि, (२) विन्ध्यगिरि, ( ३ ) श्रवय बेसोल ( खास ) और ( ४ ) आस-पास के ग्राम | लेख ने० ३५४ के अनुसार अश्रवणवेल्गोल के समस्त मन्दिरों की संख्या ३२ है अर्थात्‌ आठ विन्ध्यगिरि पर, सोलह चन्द्रगिरि पर और आठ ग्रास में | पर लेख में इन बस्तियों के नाम नहों दिये गये । चन्द्रगिरि चन्द्रगिरि पर्वत समुद्र-तल से ३,०५२ फुट की ऊँचाई पर है। प्राचीनतम लेखों में इस पर्वत का नाम कटवप्र कर (संस्कृत) : : व कल्वप्पु या कल्बप्पु| ( कनाड़ी ) पाया जाता है |. तीथे- ... गिरि और ऋषि-गिरि नाम से भी यह पहाड़ी प्रसिद्ध रही है| । .._. इसुवेज्ह्मदेव मन्दिर को छोड़ इस. पर्वत पर के शोष सब द ४ देखो लेख नं० ...« देखो लेख ने० 3, २७, र८, २६, ३३, १५२, १५३, 3८5६. २७, २८, २६, ३३, १९२, १९३, १८६. 1 देखे लेख नं० ३४, ३९, ३६०, १६१. | देखो लेख नें० ३४, रे९.




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