अश्वों की पीठ पर | Ashwon Ki Peeth Par

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Book Image : अश्वों की पीठ पर  - Ashwon Ki Peeth Par

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सच के इदं गिर्द घुदूध न जाने अकेला होकर भी न्‍्य जीवन में फेसे शांति पा गया छूगता है घर और समाज के रिश्तों से झसे हिचक हो गई होगी शायद है ऐसी ही कोई कमजोरी उसे जंगलों में ले गई होगी पत्ति दर पर्तते दृरख्त द्र दरुण्त घूमते टुए उसने कहीं बरगद या उसके अनुसार सीएल एए एलेयए हो और बहीं वैठकर ध्यानस्थ उसी मुद्दा में जीवन को जन मुक्ति से अछग अपनी धुन में पामोश रद्द सा लिया होगा और वहीं समुदायिक अपनत्व भरे घर जीवन को वोधम्य बना चुदूघता को प्राप्त कर जैसा कि इतिद्दास बताता है सावडी परतों के सौदये म॑ अपनी दलृष्णा के वास्तविक झुग्धमयी रूप रा्षी में आति बोध छोड़कर अश्वों री पीठ पर/१५




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