अथर्ववेदीय दन्त्योष्ठविधि | Atharvavediy Dantyoshthavidhi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
42
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रधमोष्ष्याथ: | रड
पर (प्रिध्रषप/ ६प्शशभु७छ पाठ उचित प्रतीत छुआ दे झोर उसे ही
>>
के
के -०न-
हम ने भूल में देदिया ह ।
(२१) झ० व, प, छितीय स्पशेय:। यहां पर छितीय स्परुय।
पाठ शुद्ध प्रतीत हुआ है, अतः सूल मे १1१० की तरह इसे भी शुद्ध
घरके रख दिया है ।
(२२) झ० विव”, घ० विवत्राय , प० विवधाधे। घ० का
पाठ कुछ शुद्ध लिखा हुआ ह, परन्तु वहद्दां भी एफारान्त फे स्थान
में पक्कारान्त पाठ अशुद्ध है छुद्ध पाठ 'पब्रबबाध!! ८४६1 दूं ।
झा प० का ता पाठ सघथा अशुद्व छ ।
शपुस इलोक में विशेष बक्तन्य यह है, कि यहां पर प्रत्येक
उदाहर ण में वकार छितीय वर स्थान मे ए और चफार प्रथम । इसी
- आशय ल््त इन उदादरणों के लिये मूल मे द्वितीयस्पढठय। पाठ
प्राय; €।
वाह वाहदा बहल ढदष्न्या बद्धकसंव व् |
अत सब कचन्त्याष्थ्या य नाक्त सतत तु द्तजा।॥1१२॥
बाह्य २७१, बाहव। २। १€। ७॥ बहुल ४।९५। ६,
धन्या ४1९१, ओर वद्धकम ६॥१२१॥४, ये सब (पद) आप्छ्य
ओर जो (यहां) नहें। पढ़े गये वे दन्तज अर्थात दन्त्य हैं ॥॥२२॥
(२८ ) व, प, वाह । वेद में यद्व पद कईद्दी नहीं अतः हम ने इस
के स्थान पर “वाहो” पद स्वय मूल में दिया दे ॥ ञ्
(-४) गअर० वब० “बहूलम”
यहां पर हरवें इलोक फे आगे फिर श्म इले फ से पाठ
झारंभ होता है, अठः प्रतीत होता है, फि यहां से दन्त्योप्ठचिधि का
: द्वितीय अध्याय आरम्म होता है यहां अध्याय का क्रम हमारा हे।
71 प्रथमा$ध्याय। ।
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