राजस्थान टिनेन्सी एक्ट | Rajasthan Tinensi Akt
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
280
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राजस्थान टिनेंन्सी एक्ट, १६५४
( एक्ट संख्या ३, सन् १६५४ )
( राष्ट्रपति की स्वीकृति दिनांक १४ मार्च, १६१४ को प्राप्त हुई )
आमुश्च
बुषि-मूमियों के शपिकरण से सम्बंधित कादूत सर्प रू वो सतेव्ित ठ्या संशोधित करने शौर
भूमि की उनन््तति के कछक उपायो व तत्सम्वदी मामलों को व्यवस्था करने के लिये भ्रधिनियम ।
नीच अल आिननिन- डलश्कानशहल ही डलफनटअमी मामला निलीकक 3.
दाजम्थान राज्य विधान मण्डल द्वारा मारत गशराज्य के छठे वर्ष में निम्न रुपेण
प्रधिनियमित किया जाता हैः--
टिप्पणी
१. आधुखः- झमुस निस्सनन््देह अधिनियम वा एक भाग होता है परन्तु उसका
उपयेग अ्रधिनिणमित करने वाले राग वा स्पष्टीकरण करने के लिए किया जाता है
न दि; उसका निर्यश्रुण बरने के लिए। आमुख बा प्रय/जन सामान्य रूप से उस उद्देश्य
को बनाना होता है जिसके लिए कि भ्धिनियम पारित किया जाता है, परन््तु उमम उन
सब ग्रमावा दा उल्लेख कर दिया जाए जिनकी पूर्ति के लिए वह अधिनियम बनाया
गया था ।
२. शम्ेशन एवं सशोधन:--समेकन एवं संशोधन बरने वाले अधिनियम का श्र्व
विशालते समय न्यायालय की पुराने दिखंयो पर विचार .करने-का. नी _ श्रधिवार है। यदि
भधिनियम के किसो सण्ड का न्यायालय द्वारा कोई भर्थ निदाला जाने के पश्चात् उसी
रुप में पुनः श्रश्िनिर्णमन किया जाता हैं तो यही समझा जापगा कि विधान मंद ने उस
अर्थ वो धंगीका< बर लिए है । श
; ३. भारभ हो तारोबः--यह अधिनिय्म १४ अफ्टूबर १६५५ से राजस्व विभाग गो
प्रधिमुजना सं* एफ १ (॥० रे० ११३५५ ता० १४ झक्टूबर १९५५ द्वारा प्रमावशीस
डिया गया था।
४. विस्तार:-यह अ्रपिनिय्म श्रत्र सुपस्त राजरपान सज्य में _सागू है जिसमें झाद्ू.
भजमेर एवं सुनेत् क्षेत्र मा १५ जूब १९५८ से सम्मिलित हैँ 1 इस विपय में राजरव (स)
विभाग भी अधिमूचना संस्या एफ. ३(२८१)।रे-/टी/५६ दिनांक २७ मार्च १६५८
उाजाघान राजपत्र भाग धर्य) ता० ८-५-१६६८ मे पृष्ठ २५ पर प्रडागित हुई थी ।
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