हमारे पर्व और त्यौहार | Hamare Parv Aur Tyauhar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१७ आला एशर घूमनवाला डाफर, एव बहस बरते वाला ववीच या भाषण देने याला प्राफेसर उस कुस्तार की अपक्षा कम योग्यता, कस सहिष्णुता और बम उदारता तथा व श्रम परवे अधिक प्रतिप्य अधिक मथ तया भधिव' सौलिया सखा वी उप वर सकता है । एसी अवस्था में सभी व्यक्तिया वए झुक्पर इन उत्पात्क श्रमों वो अपला उन वुर्सी वाह बामा क॑ प्रति सधिक हागी। मरा बाता का सुनकर मत्री महादय जी चुप हा यय और उहान हमारे तकों के बत क' पहचाना और स्वीरार किया 1 महामना पदित मदनमाहन मालवायजा महाराज कटा बरते थे कि अपने विश्वविद्यालय स निवडटे हुए विद्याधिया से में अपेशा करता हू वि वे झाड़ देने स >+९ उपडुलपतति व >|च्च १* पयन्त जिस पद पर रख दिय जायंगे उस पद का भपादत याग्यता पूजन बरेंगे । को हम चुनियादोी शिसक अपने विद्यायिया स्‌ यहां अपसा बरते है नि व परिस्थिति और समय वे! अनुसार जिस वाय था भी अपने हाथ मे ले उसका सम्पादन सुवाश्म्पण सफ्लता पूवक करेंगे और यह होगी उतव स्वावलम्बन की एक व्यावहारिव' कसौटी 1 एक वालब है उस सामित साधना के साथ प्रतिकूल परित्यिति म॑ रखे लिया जाता है और कह बपने चुद्धिघल तथा बाहुबल का उपयोग बर उभ्तति की आर अप्रमर हाता है, अपना अस्लिव स्थिर कर छेता है, विराधा पर विनय प्राप्त बर एग है आर हृदय-बन के द्वारा उस प्रतिसूल परिस्थिति मं भी सहयोग ओर सटभानना मा प्रसार बरते हुए चतुद्दिव' सत्य वा प्रयाण मरता है, धिव वो मामता बरता है बोर सुन्दर का निम्पण बरता है। वह सच्चे अप मे नई तालीम का विद्यार्थी है । यही उसकी बसौटी है । सवारे पद्धति से निजन्ला हुआ विद्यार्मी ता सीमित साधना द्वारा प्रतियूत परिस्यिति में दुचला जायगा ओर वेयल बाम बोर चयन वी पद्धति से पढ़ा हुआ विद्यार्पी, जिया! हृटप का सम्पर विशाप ने हुआ हा, बुचल भरे जाय पर मंगल गा सूजत ता पथ्पि नहा परेगा 1 ऐसी अवस्था म नई तालिम का विद्यार्यो रापत सिद्ध होगा और नई तातीम ही सफ्द तासीम सिद्ध होगो । विधा का कयोंटी स्वावलस्वन ही बया रखो गई, यह भी एक प्रश्न है दग पर भी हम विचार कु हें ) इस प्रसव वा उत्तर दन वः पहर एक बात मैं सुछ्ता दता चाहग हैं । हुछ विद्वान यह समझते हैं कि बुनियानी मिला मे बम था महय या अवः्य हाता चाहिए डिन्तु आपिर स्वाससम्बन क्या टठ्ा प्ररत नही रखता चाहिये । यसे छाया बा मत है, उच्धपत पिला पर असर




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