कैसे - कैसे सच | Kaise - Kaise Sach

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Kaise - Kaise Sach by विमल मित्र - Vimal Mitra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मैं तो अवाकू रह गया। कहां की लड़को है, कौन है--इसका कुछ ठिकाना नहीं । कभी अपनी जिन्दगी में उच्े देखा तक नहीं॥ और उसके ऊपर मह भाघी रात ! और फिर लड़की के साथ भला कोई क्यों नही है? इस उम्र की 'लडकी अकेली आखिर अपने घर से क्यों निकली है ? मैंने कहा--मैं तो आपको ठीक पहचान मही पाया । लड़की घोली--पहचानती तो मैं भी नही आपको | निहायत मुसीबत में पड़ गई हूं, इसी लिए आपसे मदद मांग रही हू। * मेंने कहा--कहिए, क्या करना होगा ? लड़की बोली--मुझे क्या आप मेरे घर तक पहुंचा देंगे ? सामने मैदान के पास गुण्डो का डर है। रात के वक्‍त उस तरफ से जाने में मुझे खूब डर लग रहा है । मैंने पुछा--आपका धर कहां है ? लडकी मे कहा--वेधपाड़ा में । नाम सुतकर मैं जगह पहचान नही पाया। मैंने पृष्ठा--वद्यपाडा कहा हैः , लड़की वोली--वह जो वडा मैदान है, उसे पार करने पर जो नई कॉलोनी वनी है--उत्ती का नाम वैद्यपाढा है । मैंने सुना था कि देश-विभाजन के बाद वहा बहुत-से नये लोगो ने आकर अपना धर बनाया था। लेकिन मैं उस तरफ पहले कभी भी गया नहीं था। बाजार मे मुझसे भेंट होने पर बहुत-से नये लोगो ने बताया दा कि वे वेद्यपाड़ा में रहते हैं । !. मैंने पृछठा--आप इतनी रात में घर से क्यो निकली थी ? ५ लड़की ने कहा--इधर सिनेमा देखने के लिए आई थी, साई हा मेल्त




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