पुल पर पानी | Pul Par Pani

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Pul Par Pani by ऋतुराज - Rituraj

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about ऋतुराज - Rituraj

Add Infomation AboutRituraj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
सवाद दरवाजे पर गडी आख से क्तरा जानेवाला आदमी आज फ्रि हमारी वस्ती मे आया है वही शातिर कनखी और ढपोलशस मुखारबिन्द । एक बूढ़ा आगे बढा--.. “पाय लागू महराज / अवकि सवकर कछु जादा दिवाय देक ” अनुभव और व्यवहारिक्ता का संगम मुस्कराता है। “अभी कल तक जहा पूरा भय था बोलो, नय शदद लाने मे अव कोई दिवक्त हुई २7 बादत के नफे को भाषा मं फ्राई करता बह लहलहाता है पुल वर वानी / 25




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now