पुल पर पानी | Pul Par Pani
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ :
702 KB
कुल पृष्ठ :
126
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सवाद
दरवाजे पर गडी आख से
क्तरा जानेवाला आदमी
आज फ्रि
हमारी वस्ती मे आया है
वही शातिर कनखी
और ढपोलशस मुखारबिन्द ।
एक बूढ़ा आगे बढा--..
“पाय लागू महराज /
अवकि सवकर कछु जादा दिवाय देक ”
अनुभव और व्यवहारिक्ता का
संगम मुस्कराता है।
“अभी कल तक जहा पूरा भय था
बोलो, नय शदद लाने मे
अव कोई दिवक्त हुई २7
बादत के नफे को भाषा मं
फ्राई करता
बह लहलहाता है
पुल वर वानी / 25
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