रोशनी की तलाश | Roshani Ki Talash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
521 KB
कुल पष्ठ :
79
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रात-पहरेदार
४ अक्टूबर की रात
धूम घूमकर लगा रहा था पहरा
मिट्टी कौ कलापूर्ण देवी को
चुरा न ले माताल अंधेरा
ईश्वर भी खरीद-बिक्री की वस्तु बन गया है
मूर्तियों की तस्करी लोग करते हे धर्म समझ ।
पंडाल में ऊंघते
मुरकाये मलय बाबू को -
तंग कर रहे थे - शारदीय मच्छर
ऊंँघ-ऊँघ कर बोल रहे थे--
“गले में डोरी बांधे
भूल रहा है अभी बोनस
पर्व के आनन्द को चाट गई महंगाई”
बच्चे नही जानते हैं इस सफ़ेद सच को
खामोशी के भय से
पीछे वाले हिस्से के कुत्तो
क्यों भौकते है ?
पोखर वाले पर्ंट में
जमा है जुओ का अड्डा
तर रही परछाई बेगम-गुलाम की
नया वकील नशे में अनगंल बकता है
पैसों को नचाता हुआ
दो सीढ़ी चढ़ता है
छड़खडाकर तीन सीढ़ी उतरता है।
रोशनी की तसाश/(७
User Reviews
No Reviews | Add Yours...