श्री कल्प सूत्र | Shri Kalp Sutra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
280
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२>०--ननी नल नीनीननननननन मनन
आदि वचन
२०-००». जनकमनननननन पनीनानन नव न न,
जैन परम्परा में 'कल्पसूत्र' का एक विशिष्ट स्थान हैं। पर्वाधिराज पर्यु षण के दिनो में इवेताम्बर समाज में इसकी
अधिकाधिक वाचन एवं पठन किया जाता हैं। स्थानकवासी क्षेत्रो में भी इसके वाचन के प्रति आकर्षण वढता जा रहा हैं। भात
अतगड सूत्र एवं मध्यान्ह में कल्पसूत्र का वाचन वहुते से क्षेत्रो में किया जाता है ।
कल्पसूत्र के अनेक संस्करण समाज के सामने आये है, वे सुन्दर भी है, शोधपूर्ण भी हैं। कितु इतना सरल,
जनोपयोगी और व्याख्यानोपयोगी सुल्दर सरकर॥ सभवत यही हैं। ईसकी $ जनोपयोगी रूप में भस्तुत करने का भ्रथम श्य
स्व० उपाध्याय श्री प्यारचः जी महाराज को ही मिलता हैं। इसका संस्करण पत्राकार एवं बडे ठाइप में होने के
कारण ब्याख्यानदात्ताओं के लिए यह अधिक सुविधा पूर्ण हैं ।
स्वाध्याय प्रेमी इसमे अधिकाधिक लाभ उठाये--इसी प्रमोद भावना के साथ
तवबर्षे
दचि० स० २०२६
वेगलूर सिंटी
--अशोकमसुर्नि
मुदक--शीचन्द सुराना प्र्म' के निर्देशन में श्रीविष्द स्रधिग प्रेस, आगरा में मुद्रित
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