सिद्धान्त - शिरोमणि | Siddhant - Shiromani

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Siddhant - Shiromani by गिरिराज प्रसाद द्विवेदी - Giriraj Prasad Dvivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ * का वेदाज्न-ज्योतिप प्राप्त है | एफ भें ३६ रलोक हैं; यह ऋग्येद से ; 5,210 “९ “ , उनके शाम से बांहर कोई बात ने थी | सो ठीफ ही है 1 वेद के चंडट्नों का संबंध+ उसके अस्तित्व का मुख्य साधन द्वी हैं। परन्यं संपूर्ण बयान-विज्ञान वेददी से सिद्ध फरना पूवोचायों को अमीष्ठ न था अन्यथा एक-एक विपयों पर असेएय प्रंथों फी रचना का सृत्रपात न ता | वर्तमान समय मे इसे प्रमाण थी आवश्यकता नहीं दे | बेंदों को छोड़कर ज्योतिष का खतम्त्र प्राचीन ग्रंध * बेदाब्न- ज्योतिष ? नाम से प्रसिद्ध है । यज्ञादे कर्मों के निबोहाश ईसा तिथि, पर्ब-काल आदि का निरूपण है | इस समय तीन. प्रकार संबंध रखता है। दूसरा सोमाकर की' टीफा-युक्त है' उसके अन्‍्त मैं लिखा है ' शेप-छृत यमुवेदाहन-श्योतिपम ! इसमें 9३'रलोक हें | इनमे « ऋग्येदीय-ज्योतिषप के ३२० श्लोफ़ संमिलित हैं, वाकी १३ श्लोक नवीन हैं। ऋगज्योतिप के ३२६ ओर यजु के १३ कुल ४९ श्लोक हैं| सोमाफर फे लेखानुसतार उनफा समाध्य ज्योतिष यजुेंदिय संममी जाता है । और वह शेप-कृत है। इसके झारंभ में लिखा है * फासज्ञानं प्रवध्यामि लगधस्य मद्ात्मनः ? इससे ज्ञात होता है, लगध ने कोई ध्योतिष लिखा था उसी फे मृल पर प्रस्तुत ज्योतिष लिखा गया है ” जात होता छे-जैसे प्रानीन वैदिक व्याकरण के आधार पर पार्णिए व्याफरण एवं वैदिक छन्द.शाख्र के भूल पर पिक्नल-नामक ' छुन्दः । शासत्र की सृष्टि हुई है वैसे ही प्राचीन बैदिक ज्योतिष की मित्ति पर लग महात्मा फा यह वेदाहू-ज्योतिष रचा गया है | लंगध किंबा * अथरे-ज्योतिष तोसरा है-इसमें कश्यप को पितामद ने उपदेश किया है। सह पुक अझार से मुह॒ते-विषयर है । इसमें सात ग्रह, सात थार हट केक दि हृ्दश एशिये। का रास नहीं है । इपको मुहतेनवषय का आदि ग्रंथ जानभा ध्वाहिए ।




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