मयूर चित्रकम | Mayur Chitrakam

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Mayur Chitrakam  by नारायणप्रसाद मुकुन्दराम - Narayanaprasad Mukundaram

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(२) भगूरचित्रक आदि अनेक गन्ध रचना किये जिससे पाठक) गण थोडेही परिभमसे बहुत आधचार्म्येकी संमर्तिमे अभि हो नाव, ये यन्थ संस्क॒तम हैं परन्तु हालमें वर्तमाव समय- की ऐसी दशा हो गई कि, संस्कृत अल्प बोध होनेके कारण साधारण भेणीके पण्डितोंकी समझमें आना दर्द जावकर आधुनिक प्रण्वितोंने ग्रन्थोंका भाषान्तर करनी प्रारम्म किया है और वे भ्ापान्तर यत्र तत्र मुद्रित होते चले जाते हैं, वराहमिहिराचार्प्यरुत अन्धोमिसे बह त्सेंहिवा, ब॒हजातक, लघुणावक इन यब्थोंका भाषास्तर हो चुका है अब इस मग्नरचित्रक वामक पुस्तकका भाषा- न्वर हमने भीसेठ गंगाविष्ण श्रीकष्णदासजी जो आचौत नवीन ड्््शक पका व कंटिबद् हैं उनकी प्रेरणासे सरल भाषाम किया है ओर इसका सब हहू उक्त सेठली- को दिया है, इस मन्थमे भत्येक वरतुके समर्ष ( सस्ते ) मह्ये ( महँगे ) का विचार व प्रत्येक सासमे वर्षा आदि: का सम्पृर्ण बुत्ताल जाता जाता है, किस्ठ इस छोहेसेही




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