श्यामारहस्यतन्त्र | Shyama Rahasy Tantra

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Shyama Rahasy Tantra by हरिशंकर शास्त्री - Harishankar Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बपषय सूचा | प्रथम परिष्छेद में, देवी काछिका का द्वाविशव्यक्षर मेत्र नियण काछी छप- माहत्म्य कपन | दक्षिण काछिका का मंत्र ओर तिप्तक निषय मे भ्रति प्रमाण स्त पया विधि और गुरु ध्यान, बुलुगुरु निणय, अंकुश मुद्रा कथन, तांजिकी सन्ध्या, प्रयोग निरूपण, काछिका की गायत्री और यागस्पान कथन भेनु मुद्रा, द्वार देवता आर आप्तन विधि वणन, विगया माहार्यादि कथन, पूनाविच वणन, कराड्रन्याप्त कथन, वर्णन्याप्त कपन, प्रयोग वर्णन, श्रीकंठन्याम, पोड|न्य!प्त और तत्वन्याध॥॥ द्वितीयपरिच्छेदर्म,भनम्तरयभन, पडड़न्याम्न विषय पृष्पमाछा और होमः '.' ठुतीय परिच्छेद में, पीठन्याप्त, कम कछा वणन कृमप्रद्रा और देवी ४। पहल विधि, देवी का ध्यानांतर वणन, यंत्र निमाण पात्र और वाह पूजा कथन, ।बषय, प्रयोग, द्विविध मुद्रा कथन, गांभादि शाघन कपषा और अपगुंठन म॒द्रर, कीततन, लम॒द्रा, तत्वशुद्धि कीत्तन, आद्वाहनादि म्द्रा कषन खडझ्ञादि मुद्रा और रश्मिवृन्द देवताकथन, पूनाकी दिकूनिणय उपचार और पूनामे निषेध घिवणन, पूमाका मंत्र कथन पूना विधि कीत्तन, पुष्पनियम वणन, पुष्पदान विधान गुरुपक्ति कथन देवीके प्रति मेरबवाक्य समस्त मेरवनाम क्थन इनकी पूनाका क्रम वणन रहरम्यमाव्य,वर्णमाढ्ा और करमाला, अष्टांग प्रणाम और पानविधि वन शांतिस्ता५,- -. ले चतुग परिच्देद में, कर्पूर स्तव वास्वरूपा स्तव, दक्षिण कालिका का कषच, दक्षिण क छिका का स्तोच्, कवचांतर वणेन, कालिका सहसनाम स्तोत्र ॥ पंचम परिच्छेद में, पुरश्थाण विधि, शक्ति शोघन, इस का भयोग ॥ पृष्ठ परिच्छेद में, काछ़िकरा के एथक्‌ २ मंत्र कथन 1 सप्तम परिच्छद मे, विद्यामाहात्म्य । अप्टप परिच्छद भें, आचार क्रम वणन ॥ ह नषप पारेच्छद मे, कुण्डगाह्ाद्भधवांदे अहण विाधे शुद्ध मत्रापप वणन | इशम पारच्छद मं, सामान्य स्ताधन कात्तेन शिवाब॒ल्लि प्रकरण घमयाषरार कीसन 1 एकादश परिच्छद में, मंत्रप्तिद्धि प्रकार ॥ द्वादक्ष परिच्छेद में, काम्य प्रयोग, तद्विपयक विशेष किधे वणन नपनियम || न्रयोदश परिच्छेद मे, महिपमरदँनी की पूरा विधि उक्तपुना विषयम्म प्रशरण महिपमाएँनी का स्तव ॥ चतुद्देश परिच्छेद में, भय दुगांका मंत्र, इमशान विशेष वर्णन साघन स्थान कीशान विहेत शव साधन निषिद्ध शव साधन शव स्ताथन प्रकरण | हे पचदश पारच्छद्‌ मं, मकारातर प्ताथघन अशक्त पक्षका पुरश्धाण॥ काम्यहा भाषे कुण्ड नियम दक्षिण काडिकाके सब सिद्धिदायक कवच। आ्रीजह्मकृत काछीस्तच काकिकापानपद्‌ इत्यादि २ ऐसे अमृह्य ग्रंथकामू० २, डाकब्यय |£, $भरक्हे.॥




User Reviews

  • rakesh jain

    at 2020-11-24 11:43:20
    Rated : 8 out of 10 stars.
    category of the book should be Tantra
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