पूगल का इतिहास | Pugal Ka Itihas

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Book Image : पूगल का इतिहास  - Pugal Ka Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बाद में 33 वर्ष (सन्‌ 227 ई ) छाहोर से राज्य किया इनके पत्दह पुत्र थे। प्रत्येक ने पजाव के पहाडी क्षेत्र और सिन्‍्ध नदी की घाटी के पश्चिमी प्रदेशों मे बाहुबल से राज्य स्पापित किए । इनको मृत्यु के पश्चातु वालबंध ने अपने पौज मूपत को ग्रजनी के किले की व्यवस्था सौंपी और स्वय राज्य सम्मालने लाहौर लौट आए। राजा बालबध सम्बतु 284 (सन्‌ 227 ई ) मे यदुबश के 89 वें शासक बने । इन्होंने अपनी राजघानी लाहौर में ही रखी और वही से राज्य की सुचारु रूप से देस-रेस करते रहे। राजा बालवध के पुत्रो ने सिन्ध प्रदेश मे प्रिन्ध नदी के किनारे सम्वाहणगढ और कशमोर नगर बसाये। राजा बालवधघ की गृत्यु के पश्चात्‌ उनके पुत्र माटी राजा बने । राजा भाटी के पौत चकीता यजनी के किले ओर प्रान्त के अशासत बने । चकोता मे बलख बोसारे के शाह की एकमात्र पुती से विवाह किया ओर शाह की मृत्यु के वाद मे वह उनके राज्य वे शासक बने | बालान्तर में चवीता के वशजों ने वबलख, वोपारा और उजवबेक के शासकों की राजकुमारियों से विवाह विए ओर अपनी पुरत्रिया वहा ब्याही । सातवी शताब्दी म उस क्षेत्र में इस्लाम धर्म वा प्रादुर्भाव हुआ, अग्य निवासियों वा साथ देते हुए चक्रीता के वशजों ने भी इस्लाम घ॒र्म ग्रहण किया । इनके वशज चकीता मुगल हुए । यह मुगल यदुवशी चकीता मुसलमान हैं। चबीता के आठ पुत्र थे । इनमें से एक पुत्र बीजल की सतान शाहबुद्दीन मोहम्मद गौरी हुए, जिन्होंने सन्‌ 1175 ई में भारत पर पहला आव्रमण मुलतान पर किया। सन्‌ 1192 में सम्राट पृथ्वीराज चौहान को परास्त करवे शाहयुद्दीव मोहम्मद गौरी दिल्‍ली वे शासक बने 1 इस प्रवार मोहम्मद गौरी वस्तुत राजा मारो के वशज थे । राजा बालवन्ध के पुत्र भाटी श्रीकृष्ण वी 90 वी पीढी पर लाहौर म राजा हुए । यह्‌ हमारे भाटीवश के जादि पुरुष थे। राजा माटी वे आठ पुत्र थे, इन सभी वी सन्‍्तानें भाटी बहलाएं। राजा भाटी वा शासनकाल वि स 336 (सन्‌ 279 ई ) से प्रारम्भ हुआ । यह प्रतापी राजा थे इनकी दूर-दूर बे प्रदेशो मे मान्यता थी । इनबरे शासनराल में माटी सम्वत्‌ धलता था, यह वाद तो) अनेक शताब्दियो तब प्रयोग मे लिया जाता रहा। (रणवाबुरा, मासिक पत्रिया, जनवरी, 1988, पृष्ठ 103) राजा माटी वी मृत्यु बे पश्चात्‌ इनके पुत्र मपत लाहौर मे यदुवश वे 91 यें शासव हुए। इनके समय म गजनी का ड्ला एव प्रान्त लाहोर राज्य बे अधिबार स॒ निवल गया, वहा धुन्ष नाम के पश्चिचम के एवं राजा ने अधियार कर छिया था। राजा धुन्ध ने लाहौर पर भी आत्मण किया, दुर्भाग्यवण् राजा मूपग इस युद्ध में पराजित हो गए । इन्ह चाहौर छोडना पडा और अपने पूर्वज राजा शानिवाहन बी तरह अपने ही राज्य दे यू मे प्राम्तो में पीछे हटना पड़ा। वहा मी राजा घुन्ध ने इनका पीछा जिया। अन्त में उन्हाने राजा मूपत भाटी वो बुरो तरह पराजित करबे इन्ह लाखी जगत में शरण हेने वे लिए विवश किया। यह जगल थार रेगिह्तान वी सीमा पर घग्पर नदी की घादी मे पैला हुआ था। इन्होंन वि स 352 (सन्‌ 295 ई ) में घर्पर नदी के पूर्वी विनारे दर भटनर (वर्तमान हनुमानगढ़) बा बिया बावाया । मटनेर नाम इन्होने अपने पिता राजा भाटी को समृति में रफपा। मटनेर के हिते वे शिल्पी केदंया थे । डर मय युष्ठभूमि «# मै




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