अनन्त यात्रा | Anant Yatra

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Anant Yatra by सुरेन्द्रदत्त बहुगुणा - Surendradutt Bahuguna

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हर चौराहे पर लटका कर जीवित पिपारा को पूरा करने का प्रयत्न करता रहा किन्तु मौसम के ज्वालामुखी उनको उड़ाते रहे और मैं दर्शन से इतिहास वन गया ! मैंते पलाझ के फूलों की अरुणिम आभा को जुही के फूलों को बांद दिया ! ओर फिर किसी दम्भ जिज्ञासा के लिए लहराती सरिता और सघन हिमखण्डों में तत्त्वों की प्रधानता ढूंढ़ता रहा ! | उगते सूरज पर आंखें गड़ाए मोक्ष-मंत्रों के चंवर डुलाता रहा, किन्तु जाने कव मैंने ही उसका विसर्जन कर अनगिनत सूरजमुसियों को अन्धा बना दिया ! और अंधकार ने एक साथ सव के अस्तित्व का उत्तर दे दिया ! अतन्त यात्रा / 25




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