आग और आँसू | Aag Aur Aansoo
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
270
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सपीत्तरे २
दुभगी भाई दाश की
प्राह, पिता की क्या स्थिति थी !
रही विश्व में महा ग्रभागिन
भ्रपने में यद्यपि निश्पम,
राजकुमारी, जिसे पमिले श्रे
सोने के तन, श्रशन, वसन !
मिट्टी की तृध्णा से जिसका
जीवन जल-जल जीर्ण हुआ !
हरित दूर्वा का आाकप॑ण
जिसे खीचता नित्य रहा !
किन्तु न उस तक पहुंच सकी
ऊँचे महलों में पत्ती, बढ़ी !
जन-साधारण-जीवन--स्पर्दध
मृगजल-सी ही जान पड़ी !
जीवन-तृप्णा ने अन्तर को
जब-जब टेरा, करी पुकार !
विकल, छुटपंटाई बन्दी-सी
विकट जड़े थे सारे द्वार !
दीवारों-द्वारों से व्करा
घायल इच्छाएँ रोई ।
उस वेभव की चमक-दमक में
गरीड़ा की झाहें खोई
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