विश्वास बढ़ता ही गया | Vishwas Badhata Hee Gaya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
968 KB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छोटे मोटे प्राधातों से हार नहीं सकता मेरा मन
जग का कलरव अमर, झमर
गति के शंकर का ताण्डव-नत्तेंन
एक चरण को ठम्क, विदव के
सामूहिक जन-मन का ऋदन
जब तक विहग वालिकाए
ऊपा से होली खेल रही हैं-
नव घुग के स्वणिम विहान को
रोक नहीं सकते उलृक-गन,
छोटे मोठे श्रोघातों से
हार नहीं सकता मेरा मन )
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