योगशतकम् | Yogshatkam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.72 MB
कुल पष्ठ :
60
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भाषाटीकासमेत । (ण)
इर्ड़, इनका काढ़ा सेवन करनेसे कृफ़वात ज्वर,आमझूछ
दूर होकर अधि दीप्त तथा पाचनकों सामथ्य होती ६
द्रा्मामतापपटकाब्दतिक्ताक्ाथ' सश-
स्याकफलोपिदध्यात । प्रलापशूच्छाख्म-
दाहशोषतृष्णान्वित [पंत्तणंवृज्वर च ॥ ७
कालीदाख, मिंठाय, पि्तपापड़ा; नागरमोथा, छुटकी,
अपछतासका गूदा; इनका काढ़ा प्रलाप; सच्छों; अम+
दाह; झोप: तथा ठृष्णायुक्त पित्तज्वरम हित करनेवाठा हूं ॥
निदिश्घिकानागरिकायूतानां क्लाथ पेंबे-
न्पिजितापप्पछाक् । जाणज्वररावक
[सशूलधासायिमायादितपानसु ॥ ८ ॥
अटकटेया, सोंठ, गिठोय: इनका काढ़ा पीएलका चण
डाठकर पींवे तो जीणेज्वर अरुचि कास झूठ श्वास
अधिकी मंदता अर्दितिवाय पीवस इन रोयोंकों दूर
करता हे ॥ ८ ॥
पंचज्वरका उपचार ।
दुराठपापपटकर्रेयंडुशानिबवासाकटट:-
रोहिंणीनास, । काथ पिंबेच्छकरयाव-
गादं तृष्णास्नपित्तज्व॒रदाहसुक्ता' 1 ९ ॥
घमासा, पित्तपापड़ा, . प्रियंगु: चिरायता; अडसाः
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