प्रश्न कौन तोड़ेगा | Prashn Kaun Todega

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Prashn Kaun Todega by श्रीकान्त जोशी - Shrikant Joshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ग़म का मनचीता है गम को आपने देखा नही, पहिचाना जरूर है सभी जातियों, वर्णों और मनष्यों के लिये वह सजातोय है, 1 सभी से उसने सम्बन्ध कायम किये हैं, हम सब जो हैं उसी के है, उसी को जिये हैं ! कुछ को बह व्याहे है; कुछ जिन्दगानियाँ, वह उधारी में पाये है ! अनदीखती जिन्दगी की हथकड़ियों से (जिन्हें हम साँस कहते है) कुछ को उसने छूट दी है, और कुछ ने उसी की बदौलत हर साँस यों ली मानो मौत की घूट पी है । गम की शक्ल कया है ? वह कहानी है कि वाकया है ? मुकाम कहां है ? क्या उसकी निशानी है ? इन प्रश्नों को मुहिकिलों से कौच निपतें ! ते | ४३




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