मेम साहब | Mem Sahab

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : मेम साहब  - Mem Sahab

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about निमाइ भट्टाचार्य - Nimai Battacharya

Add Infomation AboutNimai Battacharya

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भेम साहब र्रे ही बात सुन रकख्ी थी, आस पढ़ने से भविष्य का भरोसा नहीं | बिना साइंस पढ़े देश और देश के युवकों को मुक्ति का कोई उपाय नहीं । बाप- दादों का ज्ञान से परिचय रहा था, पर विज्ञान से अपने किसी पुश्त का कोई बास्ता नहीं रहा | फिर भी मेंने विज्ञान की साधना शुरू की । लेकिन देश की हालत कुछ इस तरह उलमो हुई थी कि केवल विज्ञान की साधना से गुजर-बसर की गुजाइश नहीं थी। सो लक्ष्मी की साधना भी शुरू की । कालेज की पढाई मुख्य जरूर थी, पर साँम-सबेरे ट्यूघन केरके रोटी कमाना भी कम महत्त्वपूर्ण काम नहीं था। यों दो नावीं पर पेर रखकर जान को झा वनो थी | अपने ऊपर ख्याल रखने की फु्सत नही मिलती | बचपन में कालेज-जीवन के बारे में रूपकथा जेसी वहुत सारी कहानियाँ सुना करता था। इसीलिए स्कूल में पढ़ते समय सपने बहुत देखे थे | सपना देखता था कि घोती-कुरता पहने हाथ में कापी थामे कालेज में घूमता फिर रहा हूँ; मास्टरों की तरह प्रोफेसर लोग छात्रों को नाहक वक-कक नहीं करते। क्लास से गायब होने की बेरोकब्टोक आजादो है। ऐसे भौर भी । उम्मीद वी थी कि कालेज का जोवन हमारे हाथों वृहत्तर सफल जीवन का पासपोर्ट दे देगा | इन कई वर्षों की शिक्षा- दीक्षा और उससे भी ज्यादा अनुभव मेरी आँखों में नया सपना, मन में नई आशा भर देगा और उन्हे साकार कर सकना सहज कर देगा | शायद छिपे तौर पर मन हो मन यह आशा भी की थो कि में सार्थक, सफल और सर्वांगीण आदमी बनकर गर्व के साथ भविष्य को ओर बढ जाऊँंगा। उस समय यह पता नही था कि वगाल के सभी युवक कालेज-जीवन में ऐसा हो सपना देखते हैँ शोर वह सपना सदा सपना ही रह जाता है। किसी का भी सपना शायद साकार नही हो पाया । फिर भो वंगालियों के लड़के सपने देखते हैं | देखते हैँ कि उनका जीवन हँसो और गीत से भर जाएगा | जिंदगी की राह की चढ़ाई-उतराई को पार करने में उनकी जीवन-सगिनी उनकी मदद करेगी | और भी बहुत कुछ । लाखों लाख करोड़ों करोड़ बंगाली युवको की नाईं किसी दुर्बल घड़ी में मेने भी शायद ऐसा सपना देखा था | बीते दिनों को नाकामयात्रियों के इतिहास से मैंने सबक नही लिया, पूर्वंसूरियों के अनुभव मुझे रोक नहीं सके, संयत नही कर सके | लेकिन अपनी कल्पना के विमान से उड़कर में ज्यादा दूर नही गया $




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now