संतवाणी | Santvani
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
184
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)“राम वही, रहमान वही” १३
1
कोई राम, कोई अल्लाह सुनावे;
पे अल्लाह राम का भेद न पावे॥
[ दादुदयालू
ड
कृष्ण करीम, रहीम राम हरि, जबलूगि एक न पेजा,
देंद कतेव कूरान पुराननि, तबवरूगि भ्रम ही देखा।
[ रैदास
छ्
दास मलूका कहा भरमो तुम--
राम रहीम कहावत एके।
[ मलूकदास
६
अलख अल्लाह, त्रहम खालिक खुदा हे एक,
मेरे तो अभेद-भाव माया-मति खोई है;
रास भेरे प्रान, रहिमान मेरे दीव-ईमान;
भूछ गयो भेया, सब लोक-लाज घोई हूँ ।
कहत 'मल्क', में तो दुधिधा न जानों दूजों;
जोई मेरे मन में हैँ, नैनन में सोई है ।
हरि हज़रत मोहि साथव सुकुन्द को सों;
छाँडि केसौराय, मेरो इूसरो न कोई हैं ॥
_ मलूकदास
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