जवाहर - जीवनम् | Jawahar - Jivanam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भर
इस सन्दर्भ में 'कमला-परिणय *, 'इन्दिरा प्रियदर्शिनी! और “स्वर्गारोहणम्! कै
अध्याय द्र॒प्ठव्य हैं ।
काब्य के प्रारम्भ मे मगलाचरण के रूप में भारत-माता वी बन्दना
करता हुआ कवि इसकी सम्पूर्ण आध्यात्मिक, प्राकृतिक, धामिक, साह्कृतिक,
ऐतिहासिक भौर राजनैतिक विभूतियों को नमन करता है। 'जवाहर-वन्दनम्
वा उत्तरा् बहुत ही सुन्दर कविता है |
इसी प्रकार “काइ्मीर-सुपमा' को कुछ पक्षितर्यां सचमुच हो काव्य वी
नँसमिक श्लोमा से मण्डित हो उठी हैं ---
* बहम्तमनिलम॑न्दु्द्हन्त मदनानलेः:।
पूजित पुष्पराणंश्च क्झी बोक्लि-कूजितस ॥
3 म्गानिस्ताने ज्
रस्योयानेः. पयोयानर्गानिस्तानेश्च गूंजितम्।
६ हि पु का कि कक
फल फुल्लैश्चलदुल: सलिले कलन्कलायितस् ॥
ओर लगता है--निम्नलिखित कुछ पक्तियाँ जेसे कबि-कुल-गुर
बालिंदास की उपमा-प्ग्रद्ध निर्ग पक्तियों री उपमित होते को भकुल-
उत्तण्ठ हो रही हो :--
४ शर-गौरर-नीरं द्वि गौर-पादीर-सौरभस् ।
शुघ्रन च्षीराब्धि-द्विण्दीरं हंस मानस-तीरजस ॥
स्पस्प-चुद्धिददंजातो लेपने चातिदुस्तरे ।
परमय्राफलो5प्येप॑ भविष्यामि प्रशंसितः ॥।
चरित्रगौरपेणव. प्रयासः सकलों मस् ।
दल्तभंगोद्दि नागानाँ रलाध्यो गिरि-पिदारणे ॥7
जवाहर-जेन्म की कथा एक जन-श्रुति पर आधारित है। इस प्रसग
में वि ने वडी ही कुशलता से एक ब्रह्मतीन तपस्वरी का उत्यमण भर
श्री जवाहर के रूप मे उसरा अयतरण अकित किया है :--
०ज्ञावों जवाहरों योगी राजग्रद्न-गसमन्यितः |
मुख्तारसनः (मोलो लाख.) समुदभुतो मशणिरूपो ज्ञगादरः 17
प० मोतीवाल नेहश और स्परुप्रा रानी का राजा दितीप और
गुदक्षिणा के रूप अरन भी बहुत हो समीचीन है । करि ने वाल्मीकि, व्यास,
घालिदाल प्रमृति महाकवियों द्वारा निदिष्ठ वामिक मर्थादाओं का पुनरायलन
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