पद्म पुराण [खंड 1] | Padm Puran [Khand 1]
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
502
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)का ।
- पुराण! में 'दह्म-वुशण' की जो विवय-सूची दी यई है उसमे _पच ही खण्ड बव-
लग्ये गये है। 'ब्रह्मखण्ड! ओर 'क्रयायोगसार' का उसमे उल्लेख नही है । उसका
अनुसरण करके भारतीय धामिक साहित्य का विवेचन करने वाले कई अतघुसिक
प्रन््यों में पाँच ही खण्ड बतल।में है, जब पाठकों को हमारे इस सक्ष्करण में सती .
खण्ड मिलेंगे । ः
यह एक प्रसिद्ध बैंप्णव-पर/रा है, और इसके मतानुसार विघणु की उपासना
का प्रतिपादन बरने बारे पुराण ही (सास्विक' हैं जिनमे “विष्णु, नारद,
'भगवत', गण, 'बराह' और एच्च वो गिनती की गईं है। 'श्रह्माणंद',बह्म-
चैयर्त, मार्कप्डेब, भविष्य तथा बू,मन पुरण' “राज! श्रेणी में रसे गये
हैं। 'शिव/ लिग' 'बूर्म/ 'मत्त्य' 'स्कन्द! और “अग्नि-पुर णा' को शिव वी प्रथा
नत। प्रतिपादन करने के कारण 'तामुस श्रेणी में रसा है। पर 'पच्च-पुराण
के उपख्य/नों मे शिवजी का वर्णन उत्पृष्ट रूप मे दी किया गया है, यद्पि शेव-
पुराणों वी तरह उनको लिर्देव में संवेच्चि नही माना गया है।
“नन्दाधेनु-उपाणज्यान में सत्य को सदिमा--
प्रमज्षन नामक राजा फो प्रृगपा का बहुत अधिक व्यप्ताा था। एक दिन
उसते बच्चे को दूध पिलाती हुईं हिरनी को बहा से मार दिवा। अपने छोटे
बच्चे के भोह से हिरनी को इस श्रक्रार मरते हुए बढ़ा मं नसिक सन्ताप हुआ
और उच्तने राज। को सिद्द बनकर बन के जीवो को साते रहते का शाप दे
जल
डाल, । जब अप ग्रे अपराध स्व्रीक़ार करके राजा ने बहुत क्षमा फ्रायंना वी तो
हिसी ने कहा वि “सी वर्ष के पद्च तू नन््द रनु यहाँ आयेगी उसी के द्वारा
तुम फिर मनुष्य योनि वो प्राप्त ही जाओगे ।” *
सो वर्ष तक वह राजा देवल जद्भूल के जीवों वो स्वर अपना घृरिषति
जीवन व्यतीत करता रटा । दव उस जद्भल ये समीर बुद्ध ग्काली ने जपनी
बदुसर्यक गायों को सेयर पड़ाव टला ओर उन्ही में थे नस्दा/ नाम पी ग्राय
चने में भटक जलने से उस व्याप्त के पास पटुच गई । छय व्याध एसे सतरश्द
रह जाने को प्रस्तुत हुआ तो सन््श से उससे ब्रार्यवा यो कि बह उसे बुध पांडे
की छुट्टी दे, जिससे वर पटाद में जाकर ऊपने छोडे बच्चे सो देख आये और
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