योगिनी तन्त्र | Yogini Tantra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
558
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(४) भूमिका ।
विषयोंका ही संग्रह है कि जिससे वे शाल्र मनुप्यमात्रके उपयोगीकदे जा
तक ! और बहुतसे ऐसे भी हैं, जिनकी विधि अधूरी साप्रेक्ष अथवा झ्विष्ट
है, जब कि उनसे फलसिद्धि भी अधिक विहम्बमोँ होती है। परन्तु इस
प्रंथके द्वारा साधना करनेयाले व्यक्ति अवश्यही हमारे सपरमें स्वर मिलाकर
पुक्तकंडसे यह कहेंगे कि सरल विधान रहते हुएमी उक्त तंत्रके प्रयोग
अचिरादिव पूर्ण सिद्धि प्रदान करनेवाले हैं ।
यह बात आबाल वृद्ध किसीसेभी ठिपी नहीं है कि-वबेगालमे मंत्रशा-
सका कैसा प्रचार है उस प्रान्तके मंत्रशात्री सिद॒हरत और बड़े बड़े
विद्वान होते हैं, वरन यहांतक भी कहेजानेंग भलुक्तिका भय नहीं है फि
यावस्माक मंत्र उंम्र सेत्रोका अधिकार आजकछ केबर बेंगारुनिवासी मंत्र
वेत्ताओंकेहदी वारमें रहगया है । उन्हीं महात्माओंसे हमने इस सर्वोपयोगी
अनधे रत्नखरूप तन्त्रोत्तम ' योगिनीतंत्र ! को हस्ताधिगत करके प्रकाशित
किया । यह गंध देवगिरामें होनेसे सार्वजनिक नहीं होसकता था यही
विचार कर हमने इसका शुद्ध और सरल विस्तृत हिन्दी भाषानुवाद किया।
यद्यपि अनुवाद बनाते समय सब ओर दृष्टि रखकर इसको सर्वाह छुंदर
और सरल बनानेकी यथासाध्य पृणेचेष्टा की गईहै, तथापि यदिनरधमानुसतार
इसमें कहीं किसी प्रकारकी ब्रुटि अवशिष्ट रहगई हो, उसकेलिये हम अपने
गुणज्ञ पाठकोंसे क्षमा मार्थनापूवेक निवेदन करते हैं कि यदि आप उसकी
छूचना देंदेंगे, तो आगामी जाइत्तिमे उस दोषकों दूर कर दियाजायगा ।
उपसंहारोें निवेदन है क्रि-इस अंथको छापकर प्रकाशित करने जौर
समूह्य वितरण करनेसे संपूणग अधिकार परमोदारवर शुणग्राहक विश्व
स्यात श्रीमान् सेठ सेमराज श्रीकृष्णदासजीको दिये गये हैं, उन्होंने अपनी
अमोष झपासे इसको निज ओवेकटेशवर ” यंत्रालय बंबई में छापकर
विविध प्रकारके दानमानसे हमें उपक्ृत किया है अतएुवं हम भी भगवान्
श्रोमहादैवमीसे उक्त सेठजीडी भायु, भश भर रक्ष्मीड़ी वृद्धिके लिये
प्रार्थना करते हैं ॥
0० 2 कक सजनोंका अनुगृहीत-
प० कन्हेयालाल मिश्र, मोहल्ला दीनदारपुरा, मुरादाबाद,
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