जातकमाला एक अध्ययन | Jatakamala ek addhayana

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रथम अध्याय १. बोद्ध-संस्कृत-साहित्य का परिचय बौद्धसाहित्य के ग्रन्थ दो भाषाओ--पालि एवं सस्कृत में लिपिबद्ध है। धमंविषयक ग्रन्थ पालि मे लिखे गये हे तथा दर्शनविषयक ग्रन्थ संस्कृत मे । संस्कृत ग्रन्थों मे से कुछ हीनयान सम्प्रदाय के हे और शेष महायान सम्प्रदाय के । महायान के प्राय सभी ग्रन्थ सस्कृत में ही है। प्रथमत हीनयान के प्रमुख संस्कृत ग्रन्थों का परिचय प्रस्तुत है-- “ज्ञान प्रस्थानशास्त्र * यह सर्वास्तिवाद का प्रधान ग्रन्थ है। सर्वास्तिवाद बौद्धधर्म के अठारह निक्रायो मे से एक है' । इसके अनुसार बाह्य वस्तुजात तथा आध्यात्मिक वस्तुजात, दोनो का अस्तित्व है। इसके रचयिता कात्यायनीपुत्र थे। ज्ञानप्रस्थानग्रथ की वृत्ति का नाम “विभाषा” है। इसमे सर्वास्तिवादनिकाय के विभिन्न आचार्यो का मत उपनिबद्ध हे, जिसमे पाठक अपनी रुचि के अनुरूप मत का ग्रहण कर सकते है । इसी कारण इसका नाम “विभाषा” है। इसकी रचना कनिष्क के राज्यकाल के बाद हुई थी। इसके रचयिता के रूप मे वसुमित्र का नाम लिया जाता है। इस ग्रंथ का पूरा नाम “महाविभाषाशास्त्र” था। “विभाषा” ग्रन्थ अपने असली रूप में उपलब्ध नही है । इसकी कुछ अश ही प्राप्त हुआ है, जिसके अवलोकन से इसकी उत्कुष्टता तथा इसके विस्तार का ज्ञान होता है । इसकी दाशंनिक पद्धति प्रोढ़ है । परमार्थ (४८ंर्द ई०--५६८ ई०) के अनुसार छठी शताब्दी में यह ग्रन्थ शास्त्रार्थ का प्रधान विषय था, जबकि बौद्धों एवं साख्यो के बीच विवाद चल रहा था। ज्ञान-प्रस्थान के अतिरिक्त सर्वास्तिवाद के अन्य अभिधमं ग्रन्थो का उल्लेख भी मिलता है ।” अन्न लकन “पलक «+>डनननननानिभनान नमक... ललनलकननानन न पाना नमन तानगग पिपय पलक न. अलग... पतन जन्लनननिनरनकज- १--बौद्धधमंदशंन---आ्राचाय॑ नरेन्द्रदेवकृत, पृ० ३६ २--“श्रुयन्ते हुयभिधमंशास्त्राणा कर्त्तार । तथथा ज्ञानप्रस्थानस्य आयेकात्यायनीपुत्र कर्त्ता । प्रकरण॒पादस्य स्थविरवसुमित्र । विज्ञानकायस्य स्थविरदेवशर्मा । धर्मेस्कन्धस्य आयंशारिपुत्र | प्रज्ञप्तिशस्त्रस्य श्रायंमौदुगल्यायन, । घातुकायस्य पूर्ण | सगीतिपर्यायस्यथ महाकौष्ठिल ।॥”? “- ब्रभिधमंकोशव्याख्या कारिका--३, बिब्लिशोथिका, २१, प० १२।




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