राजस्थान में शिक्षा का इतिहास | Rajasthan Men Shiksha Ka Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
84
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बजट बनाथा और उससे सन् 1818 ई. में एक शिक्षा अधीक्षक की अजमेर में
नियुक्ति हुई! कालांतर में अजमेर में स्कूल खुले और बंद हुए। पुनः खुले और
मिशनशीज के अलावा रियासतों की तरफ से भी आधुनिक शिक्षा को प्रोत्साहन
मिला तो 19वीं सदी के अंत तक परंपरागत शिक्षा-प्रणाली के साथ आधुनिक
शिक्षा का प्रचार भी होने लगा * इसी दौरान राजस्थान के अनेक राज्यों में राज्य
सरकार के सहयोग से तत्कालीन आवश्यकता के अनुसार प्राथमिक स्तर पर कुछ
पुस्तकें प्रकाशित कराई जाने लगी थी। इससे परम्परागत शिक्षा देने वाले
छोटे-बडे विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में उक्त पुस्तकीय ज्ञान भी दिया जाने लगा
था।
संकेत-रुंदर्भ
4. मरु भारती (शोघ पत्रिका), पिलानी, अंक 7/3, अक्टूबर, 1959 ।
2. अजमेर स्कूल के प्रिसिपल डॉ. बुच ने 1855 में अजमेर के चार परगनों
की यात्रा की थी। मुंबई के शिक्षा निदेशक ई. आई. हावर्ड ने सन् 4863 ई.
मे राजस्थान के पश्चिमी राज्यों की यात्रा की थी। इन दोनों के यात्रा-विवरणों
के अलावा सभी स्टेटो के पोलिटिकल एजेंट्स की रिपोर्टों में शिक्षा विषय
पर विस्तृत विवरण लिखे हैं। लॉरेस-रिपोर्ट में भी नेटिव स्टेटों मे गैर-सरकारी
स्कूलों की विद्यमानता स्वीकार की गई है जिनमें फारसी और हिंदी के
माध्यम से शिक्षा दी जाती थी। एजी,जी. रिपोर्ट 1864.
3. गोविंद अग्रवाल, चूरू मंडल का इतिहास, पृ. 51
4. 0) उदयपुर रेकार्ड में खर्च बही नं. 17, वि. सं. 4930 और कोटा रेकार्ड में
बस्ता न. 76 व 77, क्रमशः वि. सं. 1905 और 4827
00 लार्ड हेस्टिंग्स यह जानकार चकित रह गया था कि जयपुर रियासत का
मुख्यमंत्री भी मुश्किल से लिख-पढ़ पाता था प्राइवेट जर्नल ऑफ मारक्विस्
ऑफ हेस्टिंग्स, इलाहाबाद एडिशन, पृ. 376
5 नरूला एंड नायक, भारत में शिक्षा का इत्तिहास, 4951, पृ. 40
6. मेवाड पर ईडन की रिपोर्ट, पैरा-3
7. जयपुर स्टेट में प्राच्यविद्या समा के सदस्य और महाराजा संस्कृत कॉलेज
प्रिंसिपल रहे प॑ दुर्गाप्रसाद द्विवेदी ने सन् 1913 मे 'चातुर्वर्ण्य शिक्षा' नाम :
( पजस्थान मे शिक्षा इल्स 2 25)
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