रिमझिम | Rimjhim

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Rimjhim by गोपालकृष्ण सराफ़ - Gopalkrishna Saraf

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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छकर अन्तर के तारों को छिपक्र गानें वाली कौन? जगती के नीर॒स मरुथलू पर रस वरसाने वाली कौन? » “६ ॥ <ज८) कभी हँसाती, कभी रुलाती पागल मुझे वनाती कोन? वरसाने की राघारान॑। बनकर रास रचाती कौन ? अपने मूक भधुर भावों के कुछ रहस्य भी खोलो तो, भूली-सी पहचान सलोनी वोलो, कुछ भी बोलो तो।




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