शिव संहिता | Shiv Sanhita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
211
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रथमपटल: । (२७ )
संत्तार मनोराज्यवत् है. जेंसे मनुष्यका मनोराज्य मि-
थ्या है; उसी प्रकार आत्माका इच्छाभूत यह जगत्भी
मिथ्यांहे शुद्धवह्ममें ज्ञानहपी विद्याका संबन्ध है ॥०५॥
मूलम-ब्रह्मतेजों5शतो याति ततद आभास
ते नभः ॥ तस्मात्मकाशते वायुर्वायोर-
ग्रस्ततां जलस् ॥ जद ॥ प्रकाशते तत
युथ्वी कल्पनेयं स्थिता सति॥ आकाशा-
डायुराकाशपवनादग्रिसेभवर ॥ ७७ ॥
दीका-उस ब्रह्मके तेजभंशंसे आकाश उत्पन्नभया:
आकाशतसे वायु उत्पन्न भया, वायुसे भमि उत्पन्न भया
अग्निति जल भया। जठसे पृथ्वी उत्पन्न भई, यह करप-
ना हे आकाहसे वायु उत्पन्न भया ओर आकाश
वायुसे तेन उत्पन्न भया ॥ ७६ ॥ ७७॥
मूलस-खवातगि्ल व्योमवाताभिवारि
तोमही ॥ खंशब्दलक्षणं वायुय्ंचलः सप-
शैलक्षणः ॥ ७८॥ स्याट्रपलक्षणं तेज
सलिलं रसलक्षणम ॥ गन्धरक्षणिका
एथ्वी नान््यथा भवति धवस ॥ ७९ ॥
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