तत्वार्थ रामायण | Tatvarth Ramayan

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Tatvarth Ramayan  by रामचन्द्र - Ramchandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नम्न निवेनन तत्वार्थं-रामायण के गुजराती सस्करण का हिन्दी अनुवाद पूर्ण प्रकाशित होकर आपके हाथ में है। परमपूज्य डोगरेजी महाराज गुजरात की एक अमूल्य निधि है। महापुरुष एवं समर्थ कथावाचक के रूप में वे समग्र भारत में अद्वितीय है। अहमदाबाद, वम्बई एवं दिल्ली जैसे महानगरो मे पूज्य महाराजजी की कथा:श्रवण के तिये लाखो भक्‍त श्रोताओ की भीड एकन्न होती है । उनके श्रीमुख से प्रवाहित अमृत वाणी को सुनना एक सौभाग्य का विषय है। परमपूज्य महाराजश्री केवल कथा ही नही करते, अपितु भावलीला-वर्णन मे समाधिस्थ होकर अर्वाचीन शुकदेव की तरह भक्ति-भावना की गगा प्रवाहित करते है। रामायण की कथा करते समय तो वे साक्षात्‌ गोस्वामी तुलसीदासजी ही प्रतीत होते हैं--ऐसी अन्य महापुरुपषो एवं श्रोताओं की अनुभूति है। पूज्य महाराजजी की कथा का श्रवण एवं पठन वारम्बार करने पर भी श्रोताओ के हुदय मे कथानुभूति की उत्कट इच्छा पुन-पुन उत्पन्त होती है और इसीलिये रामायण एव भागवत की कथा को अनेको बार प्रत्यक्ष श्रवण करने पर भी उन पुस्तको की मांग सतत रहा करती है। भक्‍तो की इस इच्छापूर्ति के लिए महाराजजी की आज्ञा से 'तत्वार्थे-रामायण” तथा 'भागवत-रसामृत' नाम की दो पुस्तको का प्रकाशन करवाया है। इन पुस्तकों मे पू० महाराजश्री की रामायण एवं भागवत कथाओ की रसमयी वाणी का सकलन किया गया है| इन्हे पढने पर भक्‍त पाठकों को ऐसा अनुभव होता है मानों वे इस कथन का श्रवण पु० महाराजश्री की प्रेमासक्ति- भक्तिमयी वाणो से ही प्रत्यक्ष कर रहे हों । श्री डोगरे जी महाराज के प्रति हम अपनी हादिक ऋत्तज्ञता ज्ञापित करते है कि इस ग्रन्थरत्त के प्रकाशन के लिए उनका शुभाशीर्वाद प्राप्त हुआ है । तथा प्रस्तुत सस्करण के प्रकाशन के अवसर पर हम सद्विचार परिवार, अहमदाबाद तथा हनुमान्‌ प्रसाद पोद्दार स्मारक समिति का भी आभार व्यक्त करते हैं । गुजराती की मूल पुस्तको का सरल हिन्दी अनुवाद सेवा मे प्रस्तुत है आशा है पाठकगण भक्तिभाव से इसका पठन करके ग्रन्थ का रसामृत पान करेंगे। निवेदन है कि प्रस्तुत संस्करण में यदि मुद्रण सम्बन्धी कोई भूल हो तो सुधी पाठक क्षमा करेगे तथा ब्योरेवार उसकी सूचना हमे देंगे, जिससे आगामी संस्करणो में सुधारा जा सके । __ भारतीय ग्रामोद्योग परिवार । हमिमविकाहनिपिककाशतिमिएकारिसिपिकाएपियेद २ दिए! कर्पलियाना जिपेकाए च्षिक- डॉ जि पहरदिदा रत रकम मदद गए अल पलक *न्रिसड पाक ए-#* रेस निन्‍ साई कक नि आकर भियारक लिया क विद कर निषिपपम विकछ्करयिकष किन प्रकाशक | सानस प्रकाशन मानस मन्दिर, देशबन्धु गुप्ता रोड, करोल बाग, नई दिल्‍ली-५ मूल्य । तीस रुपया मुद्रक | मुदुक : रूवी प्रिन्टिग प्रेस , | दिल्‍ली-६ दूरभाष न० ५२४७०५ ग्रन्थ प्राप्ति स्थान -गर्गे एण्ड कम्पनी ४८५४, खारी बावली, दिल्‍ली-६ गये कम्पनी बुकसेलर, पुल,सदर बाजार, दिल्‍ली-६




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