श्री भगवदगीता | Shribhagvadagita

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Shribhagvadagita by आनंदराम शास्त्री - Anandram Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्ट भमवद्गीताभाषादोका, 5 1! तब अजुनने श्रोकृष्णते यह कहा कि है अच्छुत ! कर ओके बीचमें मेरा रणलेचछी ॥ २१॥ &,, वदेतानिरीक्षेईहंयोहकासमानवस्थिताव। फकैमेयासहयोडुव्यमास्मिन्रणससचमे २ दोहा-जवछमिदेखोंहोनहीं, हुरेयुदकेदाय ॥ । कानकानसाहिलरा, यारनससभमपाय ॥ २२ | ह श्राक्षष्ण ! मे यह देखना चाहता हैं 1क, युद्ध कप्नकाहुय कान कान आये है और इस रणभूमियें सुझसे कान कोन छर्डेगें ॥३२॥ ् नानवेक्ष्येइह य एतेषत्रसमागता:: घातेराष्टस्य दबेड्ेयद्धे प्रियविकीषेव:२ ३ दोहा-युद्॒करणचायाजत आयंह सजसाज ॥ दरचुदीहतकारवान, मझछाकरनकेकाज॥२३॥ शतराष्ट्रक व छ पत्रका हित ऋरनेक लिये यहां कात कान एकन्न हुये हैं में यहमी देखना चाहता हूँ ॥ २३ ॥ | एवरको हूषीकेशों गुडाकेशेन भारत । । | सेनयोरुमयोमेण्येस्थापयित्वास्थोत्तमम २० | दोह्य-एसहश्रीकृष्णजू. सुनिअजुनको बात॥ ।.. दोउसेनाभांझरथ, लेराख्योताघात ॥ २४ ॥ के अपर 5 मत प परत सर कससकप पक त्सपबतसककसत >वल्नल्‍ अल पपसपपमपरपफककन्स्ल कप पप्पकफन क्सक्सक्स हे नो सेन




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