श्री भगवदगीता | Shribhagvadagita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
392
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्ट भमवद्गीताभाषादोका,
5 1! तब अजुनने श्रोकृष्णते यह कहा कि है अच्छुत !
कर ओके बीचमें मेरा रणलेचछी ॥ २१॥ &,,
वदेतानिरीक्षेईहंयोहकासमानवस्थिताव।
फकैमेयासहयोडुव्यमास्मिन्रणससचमे २
दोहा-जवछमिदेखोंहोनहीं, हुरेयुदकेदाय ॥ ।
कानकानसाहिलरा, यारनससभमपाय ॥ २२ |
ह श्राक्षष्ण ! मे यह देखना चाहता हैं 1क, युद्ध कप्नकाहुय कान
कान आये है और इस रणभूमियें सुझसे कान कोन छर्डेगें ॥३२॥
् नानवेक्ष्येइह य एतेषत्रसमागता::
घातेराष्टस्य दबेड्ेयद्धे प्रियविकीषेव:२ ३
दोहा-युद्॒करणचायाजत आयंह सजसाज ॥
दरचुदीहतकारवान, मझछाकरनकेकाज॥२३॥
शतराष्ट्रक व छ पत्रका हित ऋरनेक लिये यहां कात कान एकन्न
हुये हैं में यहमी देखना चाहता हूँ ॥ २३ ॥ |
एवरको हूषीकेशों गुडाकेशेन भारत । ।
| सेनयोरुमयोमेण्येस्थापयित्वास्थोत्तमम २०
| दोह्य-एसहश्रीकृष्णजू. सुनिअजुनको बात॥
।.. दोउसेनाभांझरथ, लेराख्योताघात ॥ २४ ॥
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