मरुदेवता का मंत्र संग्रह | Marudevta Ka Mantra Sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
285
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वीर मरुतोंका काव्य ।
वीररसपूर्ण क/व्यके मनन से उपलब्ध वोध।
5० श ५ हि
महिलाओंरा वर्णन नहीं! पाया जाता है ।
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न्यू दाप्यों का निरीक्षण कारनेपर शात दोता दे छि उन
में दीरों के वर्णन के शाप दो साथ वनरी म्ेवसियों का
बखान भयदप ही डिया दे । ध्लियों वा पर्णन ने दिया
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यदि एस नियम का कोई भपवाद भी दो, गो उफसे इस
जिपमड़ी ही विद्धता होती है, ऐसा कहना पएेगा। छग
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डिषा दे देसा ज्ञान पता दे ( देखो पर४ ३९४ ) भीर
अगर इस संख्या में सप्तर्षपों का भी भन्तभोपत शिया जाप
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डिपा है। ऐसा ऐो नहीं फद्टा जा सझ्या हि फ्रधि स्त्रेग/३
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इ्दानप्रेश शो धुशा हे। भद हमें संसद में देखना है हि सह्ण भग्य मिने जाते गछे रो के पतिकों दा भव प्रन
डन सब का ध्यानपूर्जड भप्ययत छर छेनेसे इसे झौनसा झरते हैं, तो पठा चढ़ता दे कि यदि ये नगों में धूमने-
बोप मिल सडता है; इस मदद-शासद में अन्य काम्योदी डिस््ते छरें भौर रुढीं मशिछ्ओों पर ठनडी वियाद पढ़
जदेक्षा भो पक भनूरी विभिदृता दीख पढदी है, पह़ यों. जाए तो भछठम्प एुवं उष्पूंपछटापूर्ण बर्ताव बरने में द्विच-
है $ इस काप्य भे- डिचाओे नहीं । बद बात सबड़ो शात दे, भत दस साइरय
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