वन्देमातरम | Vande Matarm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
354
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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से लाग-बाग की मार अधिक थी! लूक््डसे लूक्ड की दुम
भारी थी ।
कहन का ता यह कहा जाता ह॑ कि देशी राजा रजवाड़ा के
वक्त म कोई टैक्स नहीं था पर य लागें तथा बेगार बेनामी टक््स
ऐसे थे जिनसे ब्राह्मण व राजपूता के अलावा शायद ही कोई बचा
हा) क्साना के अलावा भी झरय कौमा पर या तो कतिपय लागें
लगी हुई थी या बगारी मे श्रपन भापको खपाना पड़ता था। महा
जन और व्यापारी वग को भी कई लागे नकदी के रूप मे दने के
अलावा जागौरदार के यहा मेहमाना के लिए रसोडा का सामान
तालकर पहुचाना पडताथा। उसके लिए बिस्तर, पलग, खाट
पहुचाने हात थे, श्लौर कासा भाणा लाग ता थी ही । ये सारी लागें
व जबरन वसूली जागीरी प्रथा समाप्त हाने पर ग्राव गाव में हुए
आदोलन के फ्लस्वरूप बद हुई ।
सामाती युग और बेगार प्रथा
ह॒वीकत म तो बंगार प्रथा दास प्रथा का ही एक रूप है!
जागीरी गावों में ज्या ज्या जागोरदार की आवश्यकता बढती गई,
त्या-त्यों प्रजा से बंगार म॑ काम लने वी मात्रा मी बढती गई । बिना
मजदूरी था एवजाता दिय काम ल॑ने की प्रथा का नाम ही बेगार है।
जागीरी गावो म॑ हर व्यक्ति का 'यूनाधिक मात्रा मे बेगार म काम
करना पडता था। पर कुछ जातियाँ तो ऐसी थी जिह बेगार मे
दिन रात पिसना पडता था । मेघवाल सरगरा झाति वग जो भूमि
हीन मजदूर थ उहं तो बेगारी ही माना जाता था । रावले के काम
के लिए जब चाह बुला लिया जाता था। जागीरदार की फसल
कटाई का काम हो, सभी के लिए भुफ्त जूते सिलार्द एव अय चमडे
का काम हां, ऊँट घोडो वे लिए रिजका, घास चारा लाने का काम
हो, धोडो के लिए दाना दलिया प्यार करना हो, रसाडे के लिए
अनाज पिसाई का काम हा सदेश चिट्ठी पत्री लाने ले जाने का काम
हो, कपडे धाने का काम हो धांडां व मवेशी की देख रेख एवं सफाई
का काम हो वह सब इही लोगा का वारी-बारी से बेगार मे
करना पडता था।
क्सिना को बलगाडिया जागरीरदार का सामान लाने बल
जाने एवं मेहमानां के लिए रात दिन बारी-बारी से बेगार म बुलाई
जाती थी | इसी तरह दर्जी मुफ्त मे समी वे-जागीरदार के परिवार
एवं उनके क्मचारी-वारिदा के कपडे सीते थ । ताइया का न केवल
हजामत बनाने का काम करना पडता था वरन् रसोई बनान व बरतन
साफ करने का काम भी करना पड़ता था। मुम्हार मिट्टी के
घडे व बरतन देता और मकान बनाने व मरम्मत के लिए इटें देते के
झलावा सारा पानी मरता था । सुथार न केवल खाट बाजोट पाट
फर्नीचर आदि लक्डी का सामान मुर्पत में बनाकर दंता था, वरन्
रसोडा की नित्य काम थाने वाली लक्डी भी फाडता था। कारीगर
मकान बनाते या मरम्मत का काम करते थे, लुहार लोहे का सारा
सामान बनाकर देत एवं मरम्मत क्रत। सुनार सोने के जैबर
बनात और मजदूरी बेगार म करत थ । रायका लोग जागीरदार
की मवेशी रेवड आदि मुफ्त में चरातें ग्वालें का काम करते दूध
दुहने का काम करत और मेहमानो के झ्रान पर अथवा त्यौहारों पर
बकरा देत और खाल व ऊन भी मुफ्त में दनी पड़तो थी ।मेणा
चौकीदारी करत उह रोज हाजरी देनी पड़ती थी। हरिजन सफाई-
बुहारी करत और घांवी कपडे धाने का काम करत झौर माली रोज
दवताआ के लिए रावले म॑ फूल लाता | उस रसोडे के लिए साग-
अहिंसक शक्ति की अ्रपूर्व विजय
बालो मे जोहड की 7000 बीघा गोचर भूमि का महा
राजा जोधपुर ने अपनी निजी सम्पत्ति घोषित कर श्रपने
चहेते लोगों को हाईकोट के स्थगन भ्रादेश के विपरीत इनायत
कर दी। बाली की मवेशी को चरने से रीक दिया गया।
जन-प्रादोलन को दबाने श्रौर श्रातकित करने के उद्देश्य से
पृव-महाराजा हनवतसिहजी के द्वितोय पुत्र हुकमसिह जी
50-60 कारिदो सहित शस्त्रो से सज्जित हो गोचर भूमि में
जा पहु चे । वहा बालो के प्रमुख क्रान्तिकारी मोहनराजजो
पशुपालको के एक बहूद सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे ।
जब लोगो को भय से विचलित होते महों देखा तो हुकर्मांसह
जी भ्राव देखा भम ताव मोहनराजजी पर पाछे से तलवार
से वार करने के लिए आगे बढे । तभी झ्राम जनता उत्तेजित
हो गई । तत्काल मोहनराजजी ने पीछे सुडकर गजब का
साहस व फुर्तो दिखायी श्रौर हुकमर्सिहनी के तलवार पकडे
हाथ को कलाई को इतनों ताकत के साथ पकड़ा कि उठा
हुआ तलवार वाला हाथ यहां का वहीं रह गया झ्लौर जन
आाकोश के श्रागे तलवार बापिस स्थान में चलो गई। उहे
अपने घर का रास्ता लेना पडा ।
श्रो छोटमलजो सुराणा बद्रीनारायएजोी शर्मा भश्रसलम
भाई, बुधारासजो डागो, बाबूभाई रावल झादि बाली नगर के
श्नेक मुखियापों ने एकत्रित जन समूह को शात शोर श्नु
शासन मे बनाये रखा झ्नन्यया कुछ भी घटित हो सकता था 1
हिंसक पझ्ाक्रमरा पर अरहिसक शक्ति को वह एक उल्लेखनीय
विजय थी ।
७ वात सन किन न > मिस 5 मम पक जा न जज अप कप कल न मे
एक सताबिति-चरण 3. [7 ल्व्क्ल
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